वाराणसी में चला हस्ताक्षर अभियान, प्रधानमंत्री को भेजा गया धरोहरों को बचाने का पत्र
वाराणसी: शहर में सोमवार को काशीवासियों द्वारा हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। इसके लिए काशीवासी अस्सी घाट पर एकत्रित हुए और प्रधानमंत्री को संबोधित मांग पत्र पर काशी के लोगो के साथ काशी घूमने आने वाले पर्यटकों ने भी हस्ताक्षर किए।
यह मांग पत्र डाक द्वारा दिल्ली भेजा गया इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा वाराणसी के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत अनेक कार्य प्रस्तावित हैं, उनमे से अधिकांश पर कार्य प्रारंभ भी हो चुका है। इसी क्रम में “गंगा पाथवे” और “बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर” जैसी योजनायें भी चर्चा में हैं जिसे लेकर लोगों में भ्रम और भय व्याप्त है।
एक तरफ हृदय योजना के तहत वाराणसी के धरोहरों को संजोने का कार्य चल रहा है, वहीं दूसरी ओर घाट, प्राचीन भवन, पूजा स्थलों, गलियों आदि के स्वरूप को बदलने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं, जो काशी की प्राचीनता पर हमला है। इसे काशीवासी स्वीकार नही कर सकते क्योंकि इससे यहां की पौराणिकता, पुरातनता और विशेषता के महत्व पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
ये है हस्ताक्षर अभियान की प्रमुख मांगे
1: वाराणसी के सभी घाट, गलियों, प्राचीन पूजा स्थलों, प्राचीन भवनों और ऐतिहासिक महत्व की इमारतों के स्वरूप को किसी भी दशा में छेड़छाड़ न की जाये। सभी की सुरक्षा और संरक्षण की सही व्यवस्था होनी चाहिए।
2: भविष्य में ऐसी योजनायें बनाते समय माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की जनहित याचिका संख्या 31229/2005 (कौटिल्य सोसाइटी बनाम राज्य सरकार) और माननीय उच्चतम न्यायालय की रिट याचिका संख्या 611/1993 (मो. असलम उर्फ़ भूरे बनाम भारत सरकार) में पारित आदेशों और इन मुकदमो में सरकार की तरफ से दाखिल शपथपत्रों को संज्ञान में रखा जाय और इनके अनुसार ही आगे कोई योजना बनायीं जाये।
3: गंगा के 200 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का नया निर्माण प्रतिबंधित होना चाहि। नगर के विकास की कोई भी योजना बनाए जाने से पूर्व उस पर नगर निगम की बैठक में संस्तुति लिया जाना आवश्यक होना चाहिए, यदि ऐसा न किया जाये तो इसे गैरकानूनी घोषित किया जाये।
4: तांगा वाले, रिक्शा चालक, नाविक आदि की आजीविका को दृष्टिगत रखते हुए उनका अनावश्यक विस्थापन और उत्पीडन नही होना चाहिए।
5: शहर में वेंडिंग जोन बना कर 24 हजार से अधिक ठेला पटरी दुकानदारों की सम्मानजनक आजीविका सुनिश्चित की जानी चाहिए।
कार्यक्रम में वल्लभाचार्य पांडेय, डा आनंद प्रकाश तिवारी, डा. इन्दू पाण्डेय, ए के लारी, राजनाथ तिवारी, प्रदीप सिंह, विशाल त्रिवेदी, विनय सिंह, शालिनी, रूपेश पाण्डेय, संजीव सिंह, संजय चौबे, राजनाथ तिवारी कपीन्द्र तिवारी के साथ अन्य कई लोगो ने हिस्सा लिया।