पावरलूम व्यवसायियों ने सरकार से मांगी ईदी
वाराणसी। बनारसी साड़ी के कारोबार इन दिनों बदहाली के आंसू बहा रहे हैं क्योंकि लॉक डाउन के कारण पिछले कई दिनों से साड़ी व्यापार ठप पड़ा है, तो वहीं बनारस की गलियों में हथकरघा और पावरलूम की आने वाली आवाजों पर भी विराम लग चुका है।
लॉक डाउन 4 में भी इस व्यवसाय को कोई का छूट नहीं मिली जिसकी वजह से अब जो बुनकर हैं उनकी स्थिति बहुत ज्यादा दैनीय हो रही है।
ऐसे में अगर बात करें तो भारत समेत लगभग 50 देशों में बनारसी बुनकारी कला का हुनर फेमस है लेकिन लॉक डाउन की वजह से बनारसी साड़ी की जो पहचान है वह धीरे-धीरे गिरती जा रही है जिसको लेकर बुनकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं।
आने वाले वक्त में देश को जहां आर्थिक संकट से जूझना होगा तो वहीं इस कोरोनावायरस की स्थिति में बुनकरों के आगे खाने और कमाने की स्थिति काशी में बदतर हो गई है।
फिलहाल तो गंगा जमुनी की तहजीब कहे जाने वाली काशी में इन दिनों हथकरघा और पावर लूम की आवाजें ना ही सुनने को मिलती हैं और ना ही कोई बनारसी साड़ी खरीददार आ रहा है क्योंकि टूरिज्म पर पूरी तरीके से रोक लग गया है।
लॉक डाउन की स्थिति में विशेष सामानों को ही अनुमति दी गई है। कोरोना के खतरे में लोग जहां अपने घरों में कैद है तो वही बनारसी साड़ी के खरीददार भी बाजार से दूर हो गए हैं।
किसी भी देश से कोई खरीददारों का न फोन आ रहा है और ना ही कोई गद्दी मालिक बुनकरों से बनारसी साड़ी की पहचान जिंदा रखने के लिए बुनकारी का कोई भी कारोबार नहीं कर रहे हैं।
जिसको लेकर धागे ताना-बाना बुनने वाले लोग और सैकड़ों ऐसे मजदूर जो इन दिनों आर्थिक तंगी के संकट से जूझ रहे के साथ साथ पावर लूम पर अध निर्मित साड़ियां इस बात की गवाह बन रही हैं कि देश में कोरोनावायरस संकट जो है वह बनारसी साड़ी के व्यापार पर भी देखने को मिल रहा है हालांकि केंद्र और राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है कि हर तबके के लोगों का विशेष ध्यान रखा जाए ताकी कोई भी इंसान भूखे पेट ना सोए।
राज्य सरकार ने श्रमिक मजदूरों को रोजगार देने की बात कही है तो बुनकरों के चेहरों पर इस बात से थोड़ी खुशी आई है कि जल्द सरकार भी बनारसी साड़ी की पहचान को मिटने नहीं देंगे और उसको बड़े पैमाने पर प्रमोट किया जाएगा।
यूपी से जो गुजरात और अन्य राज्यों में जाकर साड़ी व्यवसाय के रोजगार में मजदूर का काम करते थे अब उनको उन्हीं के राज्य में साड़ी से जुड़े रोजगार मिल सके इसके लिए बनारसी साड़ी उद्योग के कुछ पदाधिकारियों ने राज्य सरकार से जहां कुछ जमीने मांगी है तो वहीं बिजली के बिल को लेकर भी सरकार से नरमी बरतने की अपील की है।
अगर सरकार इनकी मांगों को पूरा कर लेती है तो बाहर जाकर रोजगार करने वाले साड़ी के व्यवसाय में अब श्रमिक मजदूरों का भी बड़ा योगदान होगा। अपने राज्य और अपने जिले से इन्हें बाहर जाकर रोजगार ढूंढने की जरूरत नहीं क्योंकि कई देशों में बनारसी बुनकर की तूती बोलती है।
अगर वह इसी जगह पर रह कर अपने पूर्वांचल यानी बनारस की साड़ी की पहचान को आगे ले जाने के लिए मदद करें तो उत्तर प्रदेश में उद्योग को लेकर ट्रांसपोर्ट को लेकर विदेशों और देश देश में बड़ा व्यापार किया जा सकता है।
अब ऐसे में जरूरत है तो राज्य सरकार की मदद की ताकि बुनकर अपनी बुनकारी के साथ बंद पड़े इस पावर लूम व्यवसाय को वापस से पटरी पर ले आए और इसकी जो आवाज है वह फिर से शहर बनारस की गलियों में गूंजने लगे।
वाराणसी में लगभग 7 लाख लोग पावरलूम के व्यवसाय से जुड़े हुए है। कोरोना के कारण रोजगार बन्द होने और आगामी ईद के अवसर पर पावरलूम व्यवसाय से जुड़े लोगों ने सरकार से ईदी मांगी है कि पावरलूम के रोजगार को चालू करने में अलावा बिजली में छूट के साथ साथ अन्य चीजों में छूट दी जाय।
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