सारनाथ पहुंचे जर्मनी के राष्ट्रपति स्टाइनमायर, भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली देख हुए मग्न
वाराणसी: भारत दौरे के पहले दिन काशी आए जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइनमायर भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ पहुंचे। यहां धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप और पुरातात्विक संग्रहालय देख कर वह काफी प्रसन्न हुए।
जर्मन राष्ट्रपति ने करीब सवा घंटे सारनाथ में रहे। इसके बाद वो नदेसर स्थित होटल ताज के लिए निकल गए। जहाँ उनका लंच का कार्यक्रम है। लंच के बाद राष्ट्रपति बीएचयू जाएंगे जहां वो छात्रों और शिक्षकों से संवाद करेंगे। शाम में अस्सी घाट से नौकायन करेंगे। दशाश्वमेध घाट पर आरती देखेंगे।
इससे पहले करीब 12 बजे जर्मन राष्ट्रपति विशेष विमान से बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे। उनके लिए स्वागत के लिए केंद्र या राज्य से कोई बड़ा मंत्री नहीं पहुंचा। वाराणशी की मेयर, डीएम और एसएसपी ने जर्मनी के राष्ट्रपति का स्वागत किया, यहां से वो सारनाथ गए।
भेंट की गयी ये वस्तुए
सारनाथ पहुंचने पर महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया सारनाथ के मुख्य भंते ने जर्मनी के राष्ट्रपति का स्वागत किया। ‘बुद्धम शरणं गच्छामि’ पीपल की पत्ती और पंचशील रंग में रंगा अंगवस्त्रम भेंट किया। इसके अलावा लकड़ी के ऊपर कार्विंग कर तैयार की गई भगवान बुद्ध की मूर्ति भी उपहार स्वरूप दी गई, इन उपहारों को पाकर जर्मनी के राष्ट्रपति काफी प्रसन्न दिखे और इसके लिए उन्होंने महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया सारनाथ के मुख्य भंते का शुक्रिया अदा किया।
जर्मन राष्ट्रपति ने महात्मा बुद्ध की प्रतिमा के आगे मोमबत्ती जलाई। वो यहां की बनावट और खूबसूरती देख अभिभूत हुए। बारी बारी से वहां रखे अभिलेखों के पास गए और उसकी जानकारी ली।