सपा-बसपा गठबंधन की असली अग्नि परीक्षा, खुद अखिलेश यादव की सीट लगी हैं दांव पर
उत्तर प्रदेश: फूलपुर और गोरखपुर संसदीय उपचुनाव जितने के बाद बढ़े हौसले से राज्यसभा चुनाव में उतरने वाली सपा-बसपा गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। जिसमे उनकी हताशा साफ़ नज़र आई, लेकिन अभी उससे उबरे भी नहीं थे कि विधान परिषद् का चुनाव नजदीक आ गया है। मई में होने वाले चुनाव में एक बार फिर से सपा-बसपा गठबंधन की अग्नि परीक्षा होने वाली है।
ख़ास बात यह है कि इस चुनाव में भी एक सीट ऐसी है जिसको लेकर सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा की सांख दांव पे लगी हुयी हैं। आपको बता दे कि विधान परिषद् की 12 सीटें रिक्त होने जा रही है जिनमे से 7 सीटें समाजवादी पार्टी की है। जिनपर कब्ज़े के लिए पार्टियों ने अपनी राजनितिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
खुद अखिलेश यादव की सीट लगी है दांव पर
मई में होने जा रहे विधान परिषद के चुनावो में यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, कबिनेट मंत्री मोहसिन रजा और महेंद्र सिंह की भी सीट शामिल है। आपको बता दे कि मायावती पहले ही कह ही कह चुकी है कि वह दो सीटो को जितने में सपा का पूरा सहयोग करेंगी। अब गौर करने वाली बात यहाँ है कि कांग्रेस के समर्थन के बावजूद भी बसपा राज्यसभा में एक भी सीट जितने में नाकाम रही थी। अब इस बार देखना होगा की मायावती कौन सी रणनीति अपनाएंगी जो उन्हें जीत दिलाने में कारगर साबित हो।
एक सीट जितने के लिए चाहिए 33 विधयाको का समर्थन
आपको बता दे कि यूपी विधानसभा में 402 विधायक है और विधान परिषद में एक सीट जितने के लिए कम से कम 33 विधायको का समर्थन चाहिए होता है। इस वक्त भाजपा के सबसे अधिक 324 विधायक है और यदि बसपा के अनिल सिंह और सपा के नितिन अग्रवाल और अन्य कुछ निर्दलीय विधायको को जोड़ ले तो यह अकड़ा 329 तक पहुच जाता है।
सपा के पास 46 विधायक है और उनके लिए एक उम्मीदवार की जीत पक्की है पर अपने दो उम्मीदवारों को जिताने के लिए उन्हें कम से कम 20 विधयाको के समर्थन की आवश्यकता और है। पर इस मामले में बसपा की हालत काफी खस्ती है, क्योंकि उसके पास मात्र 18 विधायक है 2 सीटो को जितने के लिए उन्हें इसमें कांग्रेस के सहयोग की भी आवश्यकता होगी जिसके पास 7 विधायक है। अब देखना होगा की क्या सपा-बसपा गठबंधन इस अग्नि परीक्षा को पार कर पायेगा।