ज्ञानवापी के बाद काशी के इस मस्जिद में अजान पर रोक के लिए डाली गई याचिका, भगवान विष्णु के मंदिर को तोड़कर हुआ था मस्जिद का निर्माण

ज्ञानवापी के बाद काशी के इस मस्जिद में अजान पर रोक के लिए डाली गई याचिका, भगवान विष्णु के मंदिर को तोड़कर हुआ था मस्जिद का निर्माण

वाराणसी। वाराणसी में ज्ञानवापी के बाद अब एक और मस्जिद को लेकर कोर्ट में याचिका डाल दी गई है। याचिका में मांग की गई है कि वाराणसी के पंचगंगा घाट पर स्थित आलमगीर मस्जिद में तत्काल रूप से होने वाली दैनिक आजन पर रोक लगाई जाय। अब ये विवाद इसलिए उत्पन्न हुआ क्योंकि ये मस्जिद पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और यहां पर किसी प्रकार की नमाज नहीं होनी चाहिए। खैर बात भी सही है कि जब कोई भी स्मारक पुरातत्व विभाग के अधीन हो तो वहां पर किसी प्रकार का सार्वजनिक आयोजन नहीं होना चाहिए।

दरअसल इस मस्जिद को लेकर विवाद काफी पुराना है क्योंकि कालांतर में यहां बिंदु माधव का मंदिर हुआ करता था, जिसे 1669 ई0 में औरंगजेब ने तुड़वाकर आलमगीर मस्जिद मनवाई थी। आपको बता दें कि मुगल बादशाह औरंगजेब के फरमान पर काशी के कई मंदिरों को तोड़ा गया था। इसमें वाराणसी के ज्ञानवापी के अलावा दो अन्य ऐसे मन्दिर भी हैं, जिन्हें औरंगजेब के फरमान के बाद तोड़ कर मस्जिद बना दिया गया था। पंचगंगा घाट स्थित बिंदु माधव मंदिर भी उसमे से एक है। हालांकि वर्तमान समय में बिंदु माधव का मंदिर ‘धरहरा मस्जिद’ के नाम से जाना जाता है।

ज्ञानवापी मुद्दे के बीच अब इस मस्जिद को लेकर भी कोर्ट में कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। बिंदु माधव मंदिर के महंत आचार्य मुरली धर पटवर्धन ने बताया कि काशी में शिव मंदिरों के अलावा दो प्रमुख विष्णु मंदिर भी थे, जिसमें आदिकेशव घाट पर स्थित आदिकेशव और पंचगंगा घाट पर स्थित बिंदु माधव का मंदिर शामिल था। 1669 में आक्रांताओं के ज्ञानवापी के तोड़ने के बाद उन्होंने भगवान विष्णु के मन्दिर बिंदु माधव को तोड़कर वहां मस्जिद का निर्माण कराया था। इतिहास के पन्नो में इसका जिक्र भी है। बता दें कि धरहरा मस्जिद के अंदर की दीवारों में कई ऐसे प्रतीक हैं, जो ये बताते हैं कि ये मस्जिद कभी मंदिर हुआ करता था। दीवारों पर हाथी के सूंड के अलावा अष्टकमल के कई निशान भी मौजूद हैं। आदिविशेश्वर के मंदिर के तोड़े जाने के छः महीने के बाद ही मुस्लिम आक्रांताओं ने इस मंदिर को भी तोड़ा था।

दरअसल वाराणसी के भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने एक पिटीशन कोर्ट में डाली कि ये मस्जिद पुरातत्व के अधीन है इसलिए तत्काल रूप से इस मस्जिद में नमाज पर रोक लगाई जाय। याचिकाकर्ता अधिवक्ता श्रीपति मिश्रा का कहना है कि अब औरंगजेब के कलंक को साफ करने का वक्त आ गया है। उनका कहना है कि ज्ञानवापी की ही तरह बिंदु माधव के मंदिर को भी तोडा गया और वहां मस्जिद बनाई गई। हालांकि अब वो स्मारक पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में है तो वहां सार्वजनिक नमाज कैसे हो सकती है। यही कारण है कि हम लोगों ने नमाज पर तत्काल रोक लगाने को लेकर याचिका दी है।

बात करें इतिहास की तो 1669 में बिंदु माधव का प्राचीन मंदिर तोड़े जाने के बाद औंध नरेश ने मस्जिद से कुछ दूर पर बिंदु माधव की मूर्ति स्थापित कर वहां मंदिर का निर्माण कराया था। वर्तमान समय में आज भी वहां बिंदु माधव की पूजा की जाती है लेकिन अब इस धरहरा मस्जिद को लेकर हिंदू संगठन वाराणसी के सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल की है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करने के बाद अब इस मामले में सुनवाई की तारीख गर्मियों की छुट्टी के बाद मुकर्रर की है।

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Vikas Srivastava