आपदा में मददगार बने अमन कबीर, अपनेपन का ढोंग करने वालों के लिए एक बड़ा तमाचा
वाराणसी। धर्म की नगरी काशी में कोविड को लेकर जिस तरीके से लोगों के बीच खौफ है, ऐसे में मौतों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है।
इस संकट की घड़ी में अपने भी साथ छोड़ दे रहे हैं। बात करें मदद की तो जो सालों से भाईचारा निभाते आए हैं, अपना बनने का दावा करते रहते हैं, उन लोगों ने भी दूरियां बना ली हैं।
ऐसे में धर्म की नगरी काशी में इस महामारी को देखते हुए एक लड़के ने लोगों की मदद का बीड़ा उठाया।
आपको बता दें कि वर्ष 2008 के गंगा निर्मल और अविरल गंगा को लेकर आंदोलन का हिस्सा रहे अमन की सोच आम लोगों से काफी हटकर हैं।
गंगा आंदोलन के बाद से ही समाज सेवा का जो जज्बा अमन के दिल में जागा तो वह सड़कों पर जीवन यापन करने वालों के लिए मसीहा बन गए।
बनारस की सड़कों पर लावारिसों की सोते और सड़कों पर ही अपना दम तोड़ देते हैं, बीमारियों के कारण उनका इलाज न हो पाने की स्थिति में अमन ने बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की।
इस बाइक एंबुलेंस से सड़कों पर पड़े पीड़ित लोगों के इलाज की जिम्मेदारी अमन ने उठायी और लगातार कई साल से मेहनत करने के बाद आखिरकार एक बार फिर अमन को और मजबूत होना पड़ा।
कोविड काल में लोगों की दुर्दशा देखते हुए अमन ने उनकी सेवा उठाया। अमन अब उनके लिए सेवार्थ खड़े है, जो इलाज के अभाव में अपना दम तोड़ रहे है।
वह मृतक जिनके पार्थिव शरीर को कन्धा देने वाला या अंतिम संस्कार कराने वाला कोई भी रिश्तेदार या नातेदार नहीं है, उनके लिए अमन ने अपने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए और उन्हें कन्धा देने वाले लोगों का बंदोबस्त किया।
इतना ही नहीं मृतकों को कांधा देने के बाद मणिकर्णिका घाट पर और हरीशचंद्र घाट पर डेड बोडियों को ले जाकर परिवार का हिस्सा बनकर विधि विधान से अंतिम संस्कार करता है।
फिलहाल अमन ने सरकारी अमले से हटकर अपना एक हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया है, जिसपर आप फोन करके किसी तरह की मदद इमांग सकते हैं।
इस युवक को बनारस के कई ऐसे मानिंद सक्षम है जो लोगों की मदद के लिए अमन को सपोर्ट करते हैं।
हालांकि अमन ने अपने कम उम्र में जिस तरीके से अपनी पहचान बनाई है, बहुत कम लोग ही कर पाते हैं, जो दूसरों के लिए बहुत कुछ करने का जज्बा रखते हैं।
न्यूज़ बकेट की टीम अमन के इस जज्बे को सलाम करती है।
जब न्यूज़ बकेट की टीम घाट पर पहुंची तो देखा कि अमन तीन लड़कियों के साथ कंधा देकर एक डेड बॉडी को घाट पर ला रहे थे।
जब उन तीनों बच्चियों के मदद के लिए कोई आगे नहीं आया तब, कहीं से उन्हें अमन का नंबर मिला और अमन से संपर्क करने के बाद उनकी मदद एक भाई, एक पुत्र के तौर पर करते नजर आए।
हालांकि लड़की ने अंतिम संस्कार कर यह बता दिया कि अगर मदद करने वाला कोई मसीहा सामने हो तो परंपरा के अनुसार महिलायें भी अंतिम संस्कार कर सकती है।
यही वजह है कि अमन की मदद से इन तीन बच्चियों के पिता का अंतिम संस्कार हो पाया। लड़कियों ने अपने रिश्तेदारों और अपने से जुड़े लोगों को संपर्क भी साधा था, लेकिन मदद के लिए शायद कोई आगे नहीं आया।
देखिए हमारी एक खास रिपोर्ट….
Click Here To Download – Magazine(PDF): News Bucket Magazine
Join Our WhatsApp Group: Click Here
न्यूज़ बकेट हिंदी मासिक पत्रिका एवं यूट्यूब पर विज्ञापन और अपने पते पर मैगज़ीन प्राप्त करने के लिए 9807505429, 8924881010, 9839515068 पर संपर्क करें।