काशी के Baba Kaal Bhairav का पहली बार लाल कपड़े पर बाल स्वरूप राजर्षि शृंगार
वाराणसी: वाराणसी में Baba Kaal Bhairav काशी कोतवाल कहे जाते हैं। कहा जाता है कि काशी के रक्षक हैं Baba Kaal Bhairav और यदि आप काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के बाद Baba Kaal Bhairav के दर्शन नहीं करते हैं तो फिर आपके दर्शन को पूरा नहीं माना जाता।
धूम-धाम से मना बाबा का बरही महोत्सव
मंगलवार को काशी के कोतवाल Baba Kaal Bhairav के जन्मदिन पर मंदिर में बाबा के बरही महोत्सव को बड़ी ही धूम-धाम से मनाया गया। वहीं मंदिर के कपाट षोडषोपचार विधि से पूजा-अर्चना के बाद खोले दिए गए। जिसके बाद सामान्य दर्शनार्थियों द्वारा दर्शन-पूजन किया गया।
बाबा का हुआ बाल स्वरूप राजर्षि शृंगार
हम आपको बता दे कि बाबा के अभिषेक के बाद पंचामृत से दोपहर में शृंगार किया गया। प्रथम बार बाबा का लाल कपड़े पर बाल स्वरूप राजर्षि शृंगार विश्व के कल्याणार्थ स्वरूप किया गया। बाबा का शृंगार अमूमन मुखौटा युक्त ही किया जाता है।
बाबा को लगाया गया उनका मनपसंद भोग
बता दे कि नवरत्नों की माला सहित गहना के अलावा बाबा को उनका मनपसंद भोग भी लगाया गया। बाबा का शृंगार गुलाब सहित दौना, गेंदा, चमेली आदि के फूलों से किया गया। वहीं बाबा की महाआरती उप महंत अवशेष पांडेय और मंदिर के महंत लिंगिया महाराज द्वारा की गई।
देर रात हुई बाबा की भव्य आरती
उन्होंने बताया कि Baba Kaal Bhairav के बाल स्वरूप दर्शन से पाप से निजात मिलता है। इस मौके पर उपस्थित रहें बाबा के भक्तों ने उनको बरा सहित मदिरा चढ़ाई। इन सबके साथ ही बाबा के अखंड दीप के लिए भक्तों ने तेल एवं काला धागा भी दान किया। वहीं देर रात बाबा की भव्य आरती के होने के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।