बदहाल गांधी चौरा
वाराणसी। पूरे देश में गांधी जयंती मनाने की तैयारियां जोरो पर है, इस वर्ष पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने जा रहा है। सत्य और अहिंसा को हथियार बनाकर जिसने भारत की आजादी में मुख्य भूमिका निभायी जिन्हे भारत के इतिहास का युग पुरुष कहते है वे हैं राष्ट्रपिता मोहनदास करम चन्द्र गाँधी।
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में महात्मा गांधी से जुडी स्मृति ‘गांधी चौरा’ बदहाल पड़ी है।
काशी के इतिहास लगभग हर महापुरुषों के साथ जुड़ा हैं तो महात्मा गांधी इससे कैसे अछूते रह जाते। बापू की हत्या के बाद उनकी अस्थियां देश के हर प्रमुख नदियों में प्रवाहित किया जाना था जिसमे काशी का विशेष महत्व है।
इस क्रम में बापू की अस्थियां ”22 फरवरी 1948” को बनारस पहुंचीं थी तो दर्शनार्थ हेतु रात वाराणसी शहर के बीचों बीच स्थित बेनियाबाग मैदान में रखा गया था। अगले दिन सुबह आठ बजे गांधीवादी रघुनाथ सिंह, उसे राजकीय और सैनिक सम्मान के साथ हरिश्चंद्र शमशान घाट लाया गया और मोक्षदायिनी मां गंगा की अविरल धारा में प्रवाहित कर दिया गया था।
उसके बाद साल बीता और स्वाधीन भारत के प्रथम गवर्नर राजगोपालाचारी ने 1 दिसंबर 1949 की शाम चार बजे इस गांधी चौरा का शिलान्यास किया था।
आज महात्मा गांधी का वही चौरा बेहाल बना हुआ है उसे बिना किसी रखरखाव के बदहाल हालात में छोड़ दिया गया है। शासन प्रशासन द्वारा किसी तरह की साफ सफाई न होने से आस पास गंदगी का आलम हैं।
स्थानीय लोगो द्वारा भी कई बार इस विषय पर पत्र लिख कर वाराणसी जिलाप्रशासन को अवगत भी करवाया गया पर इसके निस्तारण को कोई भी कदम नहीं उठाया गया।
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