मां कुष्मांडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से की ब्रह्माण्ड की रचना

मां कुष्मांडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से की ब्रह्माण्ड की रचना

वाराणसी। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी का दर्शन किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब संसार में अंधकार विराजमान था तब माता कुष्मांडा ने इस सृष्टि की रचना की जिसके कारण उन्हें आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव ने भी आदिशक्ति का गुणगान किया है। 

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के चौथे दिन यदि मनुष्य हरे वस्त्र पहनकर मां कुष्मांडा का सच्चे मन से दर्शन करता है तो उन्हें यश, कीर्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

सूर्य को दिशा और ऊर्जा प्रदान करने वाली मां कुष्मांडा को भोग के रूप में सभी चीजें पसंद है मगर यदि माता को लाल रंग के फूल चढ़ाये जाये तो मां को अतिप्रिय है। बाघ की सवारी करने वाली माता की कांति और तेज अत्यधिक है क्यूंकि माता कुष्मांडा सूर्य के उपर रहती है। 

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Vikas Srivastava

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