भाजपा विधायक ने विधानसभा में उठाया अनुदेशकों के मानदेय का मुद्दा, अपनी ही सरकार से सवाल
भारतीय जनता के गोरखपुर के नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने गुरुवार यानी 19 अगस्त को अनुदेशकों का मुद्दा उठाया है। डॉ. राधा मोहन ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में अनुदेशकों के मानदेय पर अपनी ही सरकार से सवाल किया है। उन्होंने प्रदेश के 26,652 अनुदेशकों को उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक 17000 रुपए प्रति माह का मानदेय देने की बात कही है।
डॉ. राधा मोहन ने विधानसभा में इस मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ से सवाल किया है। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने उनके आवेदन को स्वीकार कर लिया। विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार को इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए कहा है।
क्या है अनुदेशकों के मानदेय का मुद्दा:
उत्तर प्रदेश में पिछली सरकार यानी कि अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे, तब उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अनुदेशक शिक्षकों की भर्ती की गई। ये भर्ती उन विद्यालयों में हुई जहां पढ़ने वाले छात्र छात्राओं की संख्या सौ से अधिक थी।
2013 का साल था। नियुक्ति जब हुई तो अनुदेशकों की मानदेय 7000 रुपए प्रतिमाह तय की गई। इसके तीन साल बाद मानदेय में बढ़ोतरी हुई और ये 8470 रुपया हो गया।
2017 का साल था, उत्तर प्रदेश में चुनाव हुआ। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत हासिल हुई। भाजपा की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनाए गए। अनुदेशकों के मानदेय को दोगुनी करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक प्रस्ताव केंद्र की भाजपा सरकार को भेजा गया। प्रस्ताव में अनुदेशकों की मानदेय 17000 रुपए करने की बात कही गई थी।
केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। लेकिन अगले कुछ महीनों तक मानदेय बढ़ाकर अनुदेशकों को नहीं मिला। इसके बजाए अनुदेशकों का मानदेय 8470 रुपये से घटाकर फिर से 7000 रुपये प्रति माह कर दिया गया।
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