विपुल अंबानी से सीबीआई ने की पूछताछ, ऐसे बनवाया जाता था फ़र्ज़ी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स
मुंबई. आज सीबीआई की टीम ने पीएनबी के 11000 करोड़ के फ्रॉड केस में विपुल अम्बानी से पूछताछ की, विपुल नीरव मोदी की कंपनी फायर स्टार में चीफ फाइनेंस अफसर के पद पर कार्यरत है। पीएनबी के 10 सस्पेंड अफसरों से भी पूछताछ हो रही है। वहीं, सीबीआई ने मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी हाउस ब्रांच को सील कर दिया और कर्मचारियों के भी आवाजाही पर रोक लगा दी गयी है, इसी ब्रांच के जरिए देश के बैंकिंग इंडस्ट्री में सबसे बड़े फ्रॉड को अंजाम दिया गया।
इस मामले को लेकर सीबीआई ने ताबड़तोड़ छापेमारी की है जिसमे नीरव मोदी के मुंबई स्थित घर समेत सूरत, दिल्ली, लखनऊ और एनसीआर के कई ठिकानों पर छापेमारी की गयी। कुछ लोगो द्वारा विपुल को रिलायंस ग्रुप के फाउंडर धीरूभाई अंबानी का रिश्तेदार बताया जा रहा है, सीबीआई ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में नीरव मोदी और गीतांजलि जेम्स के मेहुल चौकसी समेत अन्य को आरोपी बनाया है।
इसी मामले के जांच के लिए आज ईडी की टीम ने गीतांजलि जेम्स को 2013 में लोन देने के मामले इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दुबे के वड़ोदरा स्थित घर पहुंची और उनसे पूछताछ की जिसके बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है।
इस तरह से जारी करते थे फ़र्ज़ी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स
घोटाले में कई बैंक अधिकारी और कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुए है जिनमे पीएनबी के पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी, सीडब्ल्यूओ मनोज खरात और नीरव के अॉथराइज्ड सिग्नेटरी हेमंत भट्ट ने पूछताछ में सीबीआई के सामने कई खुलासे किए हैं।
आरोपियों ने बताया कि स्विफ्ट सिस्टम में लॉग इन के लिए अकाउंट डिटेल और पासवर्ड नीरव की टीम के पास थे। जो लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के लिए जरूरी है, नीरव के लाेग पीएनबी अधिकारी के तौर पर अवैध तरीके से सिस्टम में लॉग इन करते थे और फ़र्ज़ी लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग जारी कर लेते थे। जिसके एवज में बैंक अधिकारियो को उनका हिस्सा दिया जाता था, जोकि जारी किये गए लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग के रकम के अनुसार तय होता था।
अभी इस मामले कुछ और चौकाने वाले तथ्य सामने आ सकते है क्योकि सीबीआई द्वारा अभी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से जुड़ी 200 से ज्यादा शेल कंपनियां जांच के दायरे में हैं जिनका इस्तेमाल घोटाले के रकम को बाहर भेजने के लिए किया जाता था।