IIT BHU में प्लास्टिक के प्रयोग से बनाया जा रहा डीजल
वाराणसी। भारत मे प्लास्टिक की रोक को लेकर सरकार, प्रशासन सभी अपने अपने स्तर से अलग अलग तरीकों से इसके रोकथाम हेतु अभियान चला रहे हैं। पेट्रोल डीज़ल के बढ़ते दाम को लेकर भी जनता परेशान रहती हैं। इस समस्या के निस्तारण के लिए अब वाराणसी के काशी हिन्दू विश्विद्यालय के आईआईटी बीएचयू के छात्रों ने भी Plastic waste खत्म करने और साथ ही इसका प्रयोग करके डीज़ल बनाने का काम कर रहे हैं।
यह सुनकर शायद आपको विश्वास नही होगा लेकिन यह सच है। कैसे आईआईटी बीएचयू के छात्र प्लास्टिक के कचरे से बना रहे है डीजल। आपको बता दें कि अगर आप घर में मौजूद प्लास्टिक को इधर-उधर फेंक रहे हैं तो ऐसा मत करिए। अब इस प्लास्टिक को जमा कर डीजल भी ले सकते हैं। आईआईटी बीएचयू में प्लास्टिक के प्रयोग से डीजल बनाने का काम शुरू हो गया है।
वर्तमान समय में यह पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कार्यान्वित हैं। IIT BHU हॉस्टल से निकलने वाले प्लास्टिक को लेकर फिलहाल अभी डीजल बनाकर आटो चलाया जा रहा है। भविष्य में इसमें अगर सफलता हाथ लगती हैं तो जल्द ही बड़ा प्लांट भी लगाए जाने की योजना बन सकती हैं, जिसके बाद शहर के लोग यहां प्लास्टिक जमा कर डीजल ले जा सकेंगे।
आईआईटी बीएचयू केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रो. पीके मिश्रा के निर्देशन में इस पर काम शुरू हो गया है। पिछले साल मई महीने में ही आईआईटी बीएचयू और अमेरिकी संस्था रीन्यू ओशन से करार के बाद अब प्लांट भी लग गया है और इस पर काम शुरू हो गया है। यह किसी भी तकनीकी संस्थान में लगने वाला पहला ऐसा प्लांट है, जहां प्लास्टिक वेस्ट से डीजल बनाया जा रहा है। यहीं नहीं विभाग परिसर में लगे प्लांट से निकलने वाले डीजल से आटो भी चलाया जा रहा है। इस पहल के बाद जहां प्लास्टिक का सदुपयोग होगा वहीं Pollution से भी मुक्ति मिलेगी।
केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के परिसर में मिनी प्लांट लगाया गया हैं। यहां पर हर दो दिन पर हॉस्टल से निकला प्लास्टिक एकत्रित करके और डीजल बनाया जा रहा है। इसके लिए कुछ युवा हॉस्टल-हॉस्टल जाकर छात्रों को प्लास्टिक एक जगह जमा करने की अपील कर रहे हैं। औसतन दो दिन में 10 से 15 किलोग्राम प्लास्टिक के इस्तेमाल से 7 से 8 लीटर डीजल निकल रहा है। प्रोजेक्ट सफल होने बाद बाहरी लोग को प्लास्टिक के बदले टोकन लेकर डीजल दिया जाएगा।
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