अजन्मी बच्चीयों के पिता बनकर Varanasi के इस शख्स ने किया पिंडदान
धर्म की नगरी काशी में पितृपक्ष के दिनों में मृतक लोगों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता है। इसी कड़ी में आज शहर के एक समाजसेवी ने लगातार गर्भ में मारी जा रही अजन्मी अभागी बेटियों की मोक्ष के लिए मोक्ष की नगरी काशी में मोक्ष दिलाने हेतु श्राद्ध कर्म आयोजित किया।
श्राद्धकर्ता संस्था के संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा ने बताया कि आगमन अपने सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति करते हुए उन अजन्मी बेटियों की आत्मा की शांति के लिए प्रतिवर्ष नैमित्तिक श्राध्द का आयोजन करती रही है। संस्था का मानना है कि कोख में मारी गयी उन अभागी बेटियों को जीने का अधिकार तो नहीं मिल सका लेकिन उन्हें मोक्ष मिलना ही चाहिए। गर्भ में की गयी हत्या जीव हत्या है जो सर्वथा अनुचित है और ऐसे दम्पति जिन्होंने भ्रूण हत्या कराई है वो जीव हत्या के दोषी है।
इस समबन्ध में संस्था के संस्थापक डॉ संतोष ओझा ने बताया कि हमारी संस्था प्रतिवर्ष पितृ पक्ष के मातृ नवमी को 5000 अजन्मी बेटियों का सनातन परम्परा और पुरे विधि विधान से श्राद्ध कर उनके मोक्ष की कामना करती है। बताते चले की ये वो अभागी और अजन्मी बेटी है जिन्हे उन्ही की माता पिता ने इस धरा पर आने से पहले ही सदा सदा के लिए अंधियारे में झोक देते है। संस्था का मानना है कि उन अभागी बेटियों को इस आयोजन “अंतिम प्रणाम” के जरिये मोक्ष का अधिकार मिलना ही चाहिए । इस अनूठे आयोजन के साक्षी समाज के अलग अलग वर्ग के लोग बने जिन्होंने मृतक बच्चियों को पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें अपनी श्रद्धा सुमन भी अर्पित की।
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