सचिन का अधूरा सपना पूरा करेगा अर्जुन
क्रिकेट के भगवान सचिन तेंडुलकर का अधूरा सपना, पूरा करेगा उनका प्यारा बेटा अर्जुन तेंडुलकर।
जी हां सही सुना आपने अपने करियर के शुरुआती दिनों में सचिन भी बॉलर बनने की तमन्ना रखते थे पर उनका यह सपना अधूरा ही रह गया पर अब उनका बेटा अर्जुन उनके इस सपने को पूरा करते नजर आ रहा है।
अभी हाल ही में अर्जुन तेंडुलकर का सिलेक्शन श्रीलंका जाने वाली भारत की अंडर-19 टीम के लिए हुआ है। अर्जुन इस टूर पर बॉलिंग ऑलराउंडर के रूप से जा रहे हैं। वे लेफ्ट आर्म मिडियम पेसर होने के साथ ही साथ लेफ्ट हैंड बैट्समैन भी हैं। अर्जुन के कोच अनुसार वे लगातार 135 किलोमीटर की स्पीड से बॉल कर सकते हैं।
ऐसे चकनाचूर हुआ सचिन का सपना
हम आपको बता कि सचिन ने जब अपना करियर शुरु किया था तो वह बॉलर ही बनाना चाहते थे ना की बैट्समैन। अपनी बॉलर बनने के सपने को सचिन 1987 में चेन्नई स्थित MRF पेस फाउंडेशन टेस्ट देने पहुंचे थे। जहां क्रिकेटर्स को नेशनल स्तर का प्रशिक्षण है। उस समय पेस फाउंडेशन के डायरेक्टर पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बॉलर डेनिस लिली थे जिन्होंने सचिन की बॉलिंग देखकर बतौर बॉलर उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। इस बात से पर्दा खुद 2012 में वहां से विदाई लेते हुए लिली ने उठाया था। सचिन अपनी आंखो मे फास्ट बॉलर बनने का सपना संजो कर गए थे पर लिली ने उन्हें बॉलिंग के बजाए बैटिंग पर ध्यान लगाने की सलाह दे डाली। जिसका असर सालभर बाद नजर आया।
फिर सालभर बाद मिला नया सचिन
सचिन पहली बार रिजेक्ट होने के सालभर बाद पेस एकेडमी दोबारा वहां टेस्ट देने पहुंचे पर इस बार वह एकदम परिवर्तित नजर आ रहे थे। सचिन ने लिली की सलाह को मान कर खुद को बैटिंग के लिए तैयार किया था। लिली ने खुद बताया जब सचिन एक वर्ष बाद दोबारा आए तो उनकी उम्र 15 साल के आसपास थी। मैं नेट पर उसके पीछे खड़ा हुआ था, सचिन ने पहली बॉल पर बॉलर के सिर के ऊपर से चौका लगा दिया। मुझे लगा था कि ये बस एक तुक्का है होगा पर उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई बाउंड्री लगा दी। बॉलर्स उसे समझ नहीं पा रहे थे और वो पार्क के चारों ओर हिट कर रहा थे। लिली ने अपनी बात को आगे ले जाते हुए कहा कि वो तकरीब 12 बॉल में 48 रन बनाकर बैटिंग कर रहे थे फिर मैंने हेड कोच रहे टीए शेखर से पूछा था कि ये लड़का कौन है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए बोला, ‘आपको याद होना चाहिए, ये वही लड़का है जिसकी बॉलिंग देखकर आपने उसे रिजेक्ट कर दिया था। इसका नाम सचिन है।
आज भी होते है वह शर्मिंदा
अपनी और सचिन की पहली मुलाकात को याद हुए लिली कहते है कि मैंने उनको फास्ट बॉलर के रूप में रिजेक्ट कर दिया था सच कहू तो इसके लिए मैं काफी शर्मिंदा हुआ था। लिली ने बताया की मुझे लगता है कि मैंने खेल के लिए अच्छा काम किया था पर मैं उस घटना को कभी भूलूंगा नहीं।
खैर अब सचिन का बेटा अर्जुन उनके अधूरे सपने को पूरा कर रहा है। कूच बिहार ट्रॉफी (नेशनल अंडर-19) के इस सीजन में अर्जुन ने 5 मैचों में 18 विकेट लिए थे।