इंजीनियर ने नौकरी छोड़ उठाया बच्चों की नशाखोरी छुड़वाने का जिम्मा, जम्मू से रामेश्वर तक निकालेंगे पैदल यात्रा
समाजकार्य तो करते बहुत लोगो को देखा होगा अपने, गरीबो को खाना खिलते कपड़ा देते उनके शिक्षा का जिम्मा उठाते तो लगभग लोग दिख ही जाते है, इस क्षेत्र में काफी गैर सरकारी संगठन भी कार्यरत है। नाबालिगों को नशाखोरी की आदत छुड़वाने का जिम्मा भी बहुत संस्थाए ने उठाया है। ऐसे में दिल्ली निवासी युवा इंजीनियर ने नौकरी छोडकर देश में कम उम्र के बच्चो में बढ़ती भिक्षावृत्ति, नशाखोरी को खत्म कराने के जिम्मा उठाया। इसके लिए अपनी नौकरी छोड़कर अब वह देश में 17 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकल पड़ा है।
नौकरी छोड़कर निकल पड़ा पैदल यात्रा पर हाथ में तिरंगा लिए
मंगलवार को बनारस पहुंचे युवा इंजीनियर ने अपनी यात्रा अगस्त 2017 जम्मू शुरू कर फरवरी 2019 में रामेश्वर जाकर समाप्त करेंगे। इस दौरान वह विभिन्न राज्यों का सफर तय करते हुए वाराणसी में भी पैदल चलकर लोगों से मिलकर बच्चों को भिक्षावृत्ति, नशाखोरी से रोकने के लिए आगे आने की अपील कर रहे हैं।
बातचीत के दौरान एयर क्राफ्ट और मैकेनिकल से इंजीनियरिंग करने वाले आशीष शर्मा ने बताया कि 2015 जून में उन्हें लिबासपुर में एक नौ साल का बच्चा भीख मांगते मिला। इसके अलावा भी दस साल से कम उम्र के बच्चे भी नशाखोरी की चपेट में आते दिख जाते हैं। इन बच्चों को देख मन में पीड़ा हुई कि जिनके हाथों में कापी किताब होनी चाहिए, वह भीख क्यों मांग रहे हैं। इसके बाद से उन्मुक्त इंडिया नाम की संस्था बनाई और देश भर में पैदल यात्रा कर लोगों को जागरूक करने की ठान ली है। अपने साथ हाथ में तिरंगा और कंधे पर जरूरी सामानों का बैग लेकर वह शहर में भ्रमण कर रहे हैं।
एप के जरिये भीख मांगते बच्चो की फोटो अपलोड किया जायेगा
आशीष ने बताया कि इस तरह की सामाजिक बुराईयों को रोकने के लिए दोस्तों संग मिलकर एक ऐप भी बना रहे हैं, जिसमें पांच किलोमीटर की दायरे में बच्चों को भीख मांगते देखने पर उसकी तस्वीर अपलोड की जाएगी। इसके पीछे यह उद्देश्य है कि बच्चों को भीख मांगना छुड़ाकर उन्हें सही दिशा में भेजा जाए। आशीष ने बताया कि हर दिन करीब 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं और करीब चार से पांच हजार लोगों से मिलते हैं। अपने इस अभियान के तहत आशीष अब तक जम्मू, हिमांचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, दमन, सिलवास, महाराष्ट्र, गोवा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, यूपी राज्यों में अब तक 6400 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं।