बनारस के अलावा कहीं नहीं होती ‘गुलाबी मीनाकारी’, कारीगर भुखमरी के कगार पर  

बनारस के अलावा कहीं नहीं होती ‘गुलाबी मीनाकारी’, कारीगर भुखमरी के कगार पर  

वाराणसी। गुलाबी मीनाकारी एक ऐसी कलाकारी है जिसमें चांदी पर मीनाकारी कर खिलौनों का रूप दिया जाता है।

इस बेशकीमती कलाकारी सबसे बड़ा हब बनारस को माना जाता है। जिसे अब जीआई से रजिस्ट्रेशन प्राप्त है और अब ये सिर्फ और सिर्फ बनारस की पहचान के रूप में देखी जाएगी। 

पीएम मोदी ने कभी इस मीनाकारी को आकाश की बुलंदियों पर ले जाने का आश्वाशन दिया था मगर आज ये अद्भुत कलाकारी अंधियारी गलियों में खोती जा रही है। 

गुलाबी मीनाकारी काफी पुरानी हस्तकला है जो राजा महाराजाओं के ज़माने से चली आ रही है और इसके कारीगर भी सिमित है।

बनारस की पहचान के रूप में देखी जाने वाली गुलाबी मीनाकारी का अस्तित्व अब खतरे में पड़ गया है। 

गुलाबी मीनाकारी करने वाले लोगों पर अब संकट के बादल मंडरा रहे है जिसके कारण इनको बनाने वाले कारीगरों को वित्तीय संकट से जूझना पड़ रहा है। 

वाराणसी के कुंजबिहारी गुलाबी मीनाकारी के आर्टिजन है और राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित भी हो चुके है।

इस मीनाकारी से 50 परिवारों के लगभग 250 लोगों का भरण पोषण होता है, जो अब संकट में पड़ गया है। 

आपको जानकारी के लिए बता दें कि ये कला का मुगलों के जमाने से चली आ रही है जिसे बनारस के लोगों सहेज कर रखा है।

इस कला से जुड़े लोग अब अपनी रोजी रोटी के लिए मुहताज हो गए है। 

इस व्यवसाय से जुड़े लोग सरकार से इस अमूल्य कारीगरी को बचाने की उम्मीद लगाए बैठे है।

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Vikas Srivastava

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