पितृपक्ष में श्राद्ध का क्या होता है महत्व?
वाराणसी। इस बार पितृपक्ष 16 दिनों का है, जो पौराणिक मान्यता के अनुसार अच्छा माना जाता है। पितृपक्ष में विधि-विधान से श्राद्ध करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और श्राद्ध करने वाले के सभी कष्ट दूर होते है।
काशी के ज्योतिषाचार्य पं शशि शेखर त्रिवेदी के अनुसार पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। उन्होंने बताया कि पितृपक्ष सामान्यतया 15 दिनों का होता है मगर इस बार तृतीया तिथि की वृद्धि हो रही है जिसके कारण इस बार पितृपक्ष 16 दिनों का होगा। उन्होंने बताया कि पुराणों के अनुसार ये अच्छा संकेत है। क्योंकि इस बार लोग 16 दिनों तक लोग पितरों की सेवा करेंगे जिसका लाभ उन्हें मिलेगा।
उन्होंने कहा पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। उन्होंने बताया कि ‘श्रद्धा’ शब्द से ‘श्राद्ध’ बना है। पितृपक्ष ने अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना ही ‘श्राद्ध’ है। इसमें तर्पण और पिंडदान के माध्यम से पितरों का श्राद्ध किया जाता है, ताकि वो जिस जगह या जिस लोक में होंगे उन्हें शांति मिलें। उन्होंने बताया कि श्राद्ध करने से पुत्र की प्राप्ति, धनागम और विभिन्न प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पं शशि शेखर त्रिवेदी ने बताया कि पितरों को गया बैठाने से पहले काशी के पिशाच मोचन कुंड पर पिंडदान आवश्यक होता है। इसके अलावा प्रयागराज में भी पिंडदान का महत्व है। उन्होंने बताया कि काशी में पिंडदान करने पर मृतक प्रेत योनि में जाने से बच जाता है। उसके बाद गया में पिंडदान दान करने से पूर्वजों की आत्मा अपने गंतव्य तक पहुंच जाती है।
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