जगन्नाथ का रथ खींचने के लिए भक्तो में मची होड़
प्रभु नयनों की राह हमारे हृदय में विराजने की प्रार्थना जगन्नाथ स्वामी नयनपथगामी भवतु मे का जयघोष कर भक्तों ने भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचकर आगे बढ़ाया। रथयात्रा मेले के तीसरे दिन सोमवार को नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने के लिए भक्तों में होड़ मची रही। हर भक्त प्रभु के चरण छूकर पुण्य का भागी बनना चाहता था। भगवान रथ पर सवार हैं इसलिए रथ को खींचकर प्रभु के चरण स्पर्श की अनुभूति कर भक्त निहाल हो उठे।
हर कोई रथ खींचने के लिए उत्साहित
भगवान का रथ खींचने के दौरान किसी ने पहिए पर जोर लगाया तो किसी ने रथ में बंध रस्सा तानकर रथ आगे बढ़ाने की रस्म निभाई। प्रभु से प्रेम का अटूट रिश्ता निभाकर भक्त भी मगन हो उठे। सोमवार की सुबह पुजारी पं. राधेश्याम पांडेय द्वारा मंगला आरती के पश्चात रथ के कपाट खुले। प्रभु जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र जी का श्वेत परिधान एवं बेला की कली से गार किया गया। रथ में विग्रहों के पृष्ठ भाग एवं पाटन की गुलाब एवं बेला की कलियों से सजावट की गई थी। इस्कान की भजन मंडली द्वारा किशोरी दास के नेतृत्व में चैतन्य महाप्रभु के भजनों से जगन्नाथ दरबार कृष्णमय हो गया।
भोर तक प्रभु के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा
छौंका मूंग चना, पेड़ा, गुड़ एवं खांड़सारी नींबू का तुलसी मिश्रित शरबत का भोग प्रभु को अर्पित किया गया। दोपहर 12 बजे रथ को खींचकर यूनियन बैंक आफ इंडिया के पास लाया गया। रथ के पहुंचने पर भोग एवं आरती की गई। शाम को शृंगार एवं आरती के पश्चात दर्शन आरंभ हो गए। भोर तक प्रभु के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा।
प्रभु के दर्शन को विराम दिया गया
तीन दिनों के रथयात्रा मेले के अंतिम दिन शयन आरती के बाद रथ पर प्रभु के दर्शन को विराम दिया गया। भोर में शापुरी परिवार ने प्रभु को विदा किया। इसके बाद कार से प्रभु जगन्नाथ, सुभद्राजी एवं बलभद्रजी के विग्रहों को अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए रवाना किया गया। इसके उपरांत रथ को रथयात्रा से शहीद उद्यान स्थित रथशाला में रख दिया गया।