काशी के ज्योतिषाचार्य ने तैयार की कोरोना की कुंडली
वाराणसी। विगत लगभग दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना ने भारत सहित विश्व पटल पर जिस प्रकार मौत का तांडव मचा रखा है।
तो वहीं मौत की सुनामी का अंत कब कहां और कैसे होगा इसकी सटीक दवा कब उपलब्ध होगी? यह प्रश्न संपूर्ण विश्व के आम जनमानस में कोध रहा है।
प्राय: प्रमुख देशों ने वैक्सीन बना रखी है लेकिन शत-प्रतिशत लाभ की गारंटी कोई नहीं ले रहा है।
गौरतलब है कि पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले इस कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस साल 2019 में चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस ने दस्तक दी थी।
17 नवंबर 2019 को चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में कोरोना का पहला मामला सामने आया था। हालांकि चीन अधिकारिक तौर पर दिसंबर 2019 में इसकी पुष्टि की थी।
दुनिया में कोरोना वायरस के पहले मरीज के तौर पर चीन की 57 साल की एक महिला की पहचान हुई थी।
चीन के वुहान में सी फूड मार्केट में झींगा बेचती थी। उसका नाम वोई गूइजियान है। इसे पेशेंट जीरों बताया गया। पेसेंट जीरो उन मरीजों को कहते है जिनमें सबसे पहले किसी बीमारी के लक्षण दिखते है।
देखा जाए तो कोरोना की पहली स्ट्रेंथ आयी थी तो पश्चिम के देशों में भारी तबाही मची थी। वहीं दूसरी स्ट्रेंथ में सर्वाधिक भारत में तबाही कोरोना ने मचा रखी है।
दूसरी स्ट्रेंथ समाप्त भी अभी नहीं हुआ है की तीसरी स्ट्रेन ने भी दस्तक दे दी।
कोरोना के बारे में क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने कोरोना की जन्म राशि की कुंडली तैयार की है।
कोरोना की जन्म राशि की कुंडली को देखा जाए तो मिथुन राशि के दुर्योंग में जन्मा यह कोरोना, राशि लग्न में ही चन्द्रमा राहु का ग्रहण योग क्रियान्वित हो रहा है।
तो सप्तम भाव में बृहस्पति शनि केतु की युति तो इन तीनों ग्रहों की लग्न पर पूर्ण दृष्टि पड़ रही है। देखा जाए तो कोरोना के लगन में राहु-चन्द्र की युति ज्योतिष में राहु को एक छाया ग्रह मानते है।
वहीं कोरोना भी अदृश्य है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को पाप एवं क्रूर ग्रह जिसका स्वभाव रंग बदलने वाला एक्सीडेंट, कारक अचानक घटना-दुर्घटना को देना जिसका पता लगा पाना बड़ा ही कठिन होता है।
अर्थात कोरोना राहु के प्रभाव के चलते ही तरह-तरह का रूप बदल रहा है। तो वहीं चन्द्रमा के साथ होने से ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को फेफड़े तथा सर्दी-जुकाम खांसी का कारक माना गया है।
इसीलिए कोरोना ने फेफड़ों गला, कान, आंख, पर ही अपना प्रभाव दिखा रहा है। चूंकि राहु छाया ग्रह है इसलिए कोरोना भी अदृय है।
राहु ही संक्रमण का सबसे बड़ा कारक ग्रह होता है। संक्रमण की गति और तेज तब हो जाती है जब राहु पर शनि की दृष्टि हो हालांकि कोरोना की जन्मराशि पर राहु, चन्द्र, शनि, बृहस्पति, केतु इन पांचों ग्रह का प्रभाव है।
अर्थात इन पांच ग्रह के दुर्योग से कोरोना के तमाम रूप दिख रहे है। तो वहीं विश्वपटल पर फैलने का सबसे बड़ा वजह कोरोना की कुंडली में बुद्ध जो पंचम भाव में मंगल के साथ बैठा हुआ है।
जैसा की मंगल पृथ्वी पुत्र उसके साथ बुद्ध के बैठने से ही यह धरती पर तेजी से संक्रमित हो रहा है। देखा जाए तो ज्योतिष शास्त्र में कुंडली निर्माण के साथ ही निदान भी सुनिश्चित होजाता है।
देखा जाए तो कोरोना का प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा देखने को मिलेगा जिनकी कुंडली में राहु, शनि, केतु, बृहस्पति की अशुभ दशा अर्थात इन चारों ग्रह कुंडली की द्वितीय भाव षष्ठ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव को इनमें से कोई ग्रह वर्तमान में प्रभावित कर रहे हो या इनकी महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा में चारों ग्रहों जैसे कोई भी ग्रह मारक हो।
गोचर में भी जिन लोगों की कुंडली में चारों ग्रह अशुभ भाव में संचरण कर रहे हो उनको भी कोरोना होने की आशंका बनी रहेगी।
ऐसे मिलेगा निदान
इस संबंध में पं. ऋषि द्विवेदी का कहना है कि निदान में शत-प्रतिशत गारंटी तो नहीं दी जा सकती लेकिन इस ज्योतिषीय निदान को नकारा भी नहीं जा सकता।
हमारे यहां आयुर्वेद में वर्णित है की आयुर्वेद के निदान से पहले ग्रहों का ज्योतिष निदान करके करें। जिसके लाभ शत-प्रतिशत होने की संभावना बढ़ जाती है।
ज्योतिष निदान में कोरोना की कुंडली के साथ कोरोना पीड़ित व्यक्ति की कुंडली हो तो बहुत हद तक कोरोना को कम किया जा सकता है।
फिर भी कोरोना पीड़ित व्यक्ति के उपाय के तौर पर मोती व गोमेद एक साथ धारण करने से शरीर में संक्रमण की गति कमजोर होगी।
तो शनि के लिए छायादान बृहस्पति के पीली वस्तु का दान करना चाहिए। राहु मंत्र के साथ महामृत्युंजय मंत्र दुर्गा सप्तसी रोगनाशक मंत्र के साथ ही भगवान भास्कर को अघ्र्य देने से कोरोना पीड़ितों को लाभ मिलेगा।
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