केरल आपदा: कुदरत का कहर या इंसानी गलती

केरल आपदा:  कुदरत का कहर या इंसानी गलती

भारत के दक्षिण भारतीय राज्य केरल में जो इस वक्त आपदा आई है वो इंसान और पानी के बीच अपनी जगह और अस्तित्व बचाने की लड़ाई का सबसे ताज़ा उदाहरण है। ये कुछ इंसानों और जानवरों के बीच जंगल के अधिकारों के लिए लड़ाई जैसा ही है।

दुनियाभर के विशेषज्ञों ने मानी यह बात

दुनियाभर के विशेषज्ञों ने माना कि केरल में मानसून आने के बाद असाधारण बारिश हुई है। सामान्य से ज्यादा स्तर से हो रही बारिश से केरल की स्थिति भयावह हो गई है और अब तक मिली सूचनाओं के अनुसार केरल में 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवां दी है।

बचाव कार्यों में देशभर के लोग दे रहे है योगदान

केरल राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे बचाव कार्यों में देशभर के लोग अपना योगदान दे रहे है लेकिन स्थिति अभी भी नियंत्रण में नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार आपदाओं का निमंत्रण इंसान खुद देता है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि इन आपदाओं का जिम्मेदार कौन है? केरल आपदा कुदरत का कहर है या महज एक इंसानी गलती?

चीज़ो से छेड़छाड़ होता है विनाशकारी

किसी कार्य के परिणाम के बारे में सोचे बगैर चीज़ो से छेड़छाड़ करना अधिकतर विनाशकारी होता है। नदिया अपनी जगह स्थिर हैं मगर इंसान इन नदियों के रास्ते में अपने लिए मकान बना लेते है। ऐसे में थोड़ा सा प्राकृतिक परिवर्तन एक आपदा का रूप ले लेती है। ऐसे में यह आवश्यक था कि समय रहते बाढ़ इलाकों के हाई एलर्ट जोन घोषित कर मकानों को नदियों से दूर रखा जाता।

Mithilesh Patel

After completing B.Tech from NIET and MBA from Cardiff University, Mithilesh Patel did Journalism and now he writes as an independent journalist.

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