इन लोगों के प्रयास से मिला मडुवाडीह स्टेशन को नया नाम ‘बनारस’
वाराणसी। भगवान शंकर की नगरी काशी के अनेक नाम और अनेक रंग है। काशी को वैसे वाराणसी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है।
अब तक जिस शहर को सुबह-ऐ-बनारस के नाम से जाना जाता है उसका कोई माइल स्टोन नहीं था मगर अब कुछ लोगों की मेहनत और प्रयास के कारण इस शहर को एक माइल स्टोन मिल ही गया।
जानिए किनके प्रयास से ‘बनारस’ को मिली पहचान
काशी को उसकी पहचान देने की कहानी काफी पुरानी नहीं है। दरअसल यूपी के मनोज सिन्हा ने जब से रेलवे की कमान संभाली तभी से बनारस के माइल स्टोन को अस्तित्व लाने का प्रयास का प्रारम्भ हुआ।
बनारस के वरिष्ठजनों के प्रयास की मुहिम में वरिष्ठ पत्रकार असद कमाल लारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके प्रयास पर मनोह सिन्हा की नजर पड़ी तभी से मुहिम की शुरुवात हुयी और आज परिणाम सबके सामने है।
कैसे पड़ा मडुआडीह स्टेशन का नाम ‘बनारस’
एक बार सफर के दौरान असद कमाल लारी के साथ दक्षिण भारत के कुछ लोग भी सफर कर रहे थे। जब मडुवाडीह स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो दक्षिण भारत के लोगों ने उतरने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि स्टेशन पर बनारस नहीं लिखा था।
बाद में लोगों के समझाने के बाद कि यही बनारस है तब कही जाकर वे लोग स्टेशन पर उतरे। इस वाक्ये को देख वरिष्ठ पत्रकार असद कमाल लारी ने इस मुहिम की शुरुवात की और आज उनके प्रयास पर गृह मंत्रालय की स्वीकृति की मुहर लगी।
न्यूज़ बकेट पत्रकारिता कर रहे छात्रों का एक छोटा सा समूह है, जो नियमित मनोरंजन गपशप के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, इसके अलावा विभिन्न त्योहारों और अनुष्ठानों में शामिल सौंदर्य, ज्ञान और अनुग्रह के ज्ञान का प्रसार करते हुए भारतीय समाज के लिए मूल्य का प्रसार करते हैं।