काशी में माता गौरा का गौना, धर्मार्थ संस्कृति एवं पर्याटन मंत्री भी होंगे शामिल
वाराणसी। महादेव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि के बाद रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती के गौने की प्रथा है।
इस उपलक्ष्य में महंत आवास चार दिनों के लिए माता पार्वती के मायके में तब्दील हो जाता है।
काशी में यह परंपरा लगभग 356 सालों से चली आ रही है और इस बार इसका 357 वां वर्ष है।
इस साल रंगभरी एकादशी 24 मार्च को है जिसके बारे में जानकारी देते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी ने बताया कि गौरा के गौने से पहले 21 मार्च को गीत गवना, 22 मार्च को गौरा का तेल-हल्दी 23 मार्च को बाबा ससुराल आएंगे।
बाबा के ससुराल आगमन पर विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार के सदस्य ज्योति शंकर त्रिपाठी के द्वारा संयुक्त आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा बाबा की आराधना कर उन्हें रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा।
24 मार्च को ब्रह्म मुहूर्त में मुख्या अनुष्ठान होगा। भोर में चार बजे 11 ब्राह्मणों द्वारा बाबा का रुद्राभिषेक करने के बाद बाबा को पंचगव्य से स्नान कराकर बाबा का श्रृंगार किया जाएगा।
बता दें कि बाबा के आंखों में लगाने के लिए काजल विश्वनाथ मंदिर के खप्पड़ से लाया जाता है और गौरा को लगाने के लिए सिंदूर अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाने की परंपरा है।
टेढ़ीनीम स्थित नवीन महंत आवास के भूतल स्थित हॉल में बाबा को विराजमान करने के बाद 11:30 बजे भोग और राज्य के धर्मार्थ संस्कृति एवं पर्याटन मंत्री नीलकंठ तिवारी के द्वारा महाआरती होगी।
विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष, जलतरंग वादक पद्मश्री डा. राजेश्वर आचार्य 10:30 बजे शिवांजलि महोत्सव का उद्घाटन करेंगे।
बता दें कि बाबा के गौने के लिए 151 किलो गुलाब का अबीर खासतौर से मथुरा से मंगाया गया है।
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