समय आ गया है कि कुछ कानूनों में जरूरत के मुताबिक हो सुधार
![समय आ गया है कि कुछ कानूनों में जरूरत के मुताबिक हो सुधार](https://newsbucket.in/wp-content/uploads/2018/07/time-to-change-indian-law.jpg)
देश में मौजूद जटिल कानूनों का सरलीकरण भी होना चाहिए ताकि समस्याओं के समाधान में वे रोड़ा न बन सकें। भारतीय संविधान जब बनाया गया था तो उस समय यह ध्यान में रखा गया था कि जब भी जरूरत हो उसमें बदलाव संभव होना चाहिए। इसी तरह संसद और राज्यों के विधान मंडल द्वारा सरकार को ये आज़ादी दी गयी कि वक़्त के हिसाब से जनहित में कानून बना सकते हैं। आज इसी के चलते हम जब चाहें अपने संविधान और कानूनों में समय के अनुसार बदलाव कर अपनी शासन व्यवस्था को दुरुस्त बनाए हुए हैं।
आप को बता दें कि वर्ष 2014 में जब केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी तो उसके तत्काल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि सरकार ऐसे कानूनों की पहचान कर उन्हें समाप्त करेगी जिनकी आज कोई जरूरत नहीं रह गई है। तब से लेकर आज तक लगातार इस दिशा में कार्य किया जाता रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से एक समिति भी गठित की गई जिसमें दो सदस्य नियुक्त किए गए थे और उन्होंने 1824 ऐसे कानूनों की पहचान की थी जिसकी वर्तमान समय में कोई जरूरत नहीं है या वे अप्रासंगिक हैं। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों के भी 229 कानूनों को भी ऐसे ही चिन्हित किया गया। अभी तक ऐसे 1657 कानूनों को या तो समाप्त किया जा चुका है या इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब सरकार ने शेष बचे 167 कानूनों को रद करने की कार्यवाही शुरू कर दी है। इनमें 1850 में बने कानून से लेकर 2012 में बने कई कानून शामिल हैं। ऐसी आशा व्यक्त की जा रही है कि अब केंद्र सरकार के स्तर पर उन कानूनों को खत्म किया जा रहा है।
वैसे तो अधिक संख्या में कानूनों में बदलाव किया जा चूका है लेकिन अभी भी कई ऐसे गंभीर मुद्दे हैं जिनमे परिवर्तन की आवश्यकता है जैसे कि अपराध संहिता और अपराध प्रक्रिया संहिता के अलावा मोटर वाहन कानून में ही कई तरह की व्यावहारिक समस्याएं आती हैं। अब समय आ गया है कि इसमें भी बदलती जरूरतों के मुताबिक संशोधन किया जाय।
एक सामान्य नागरिक को यह तक पता नहीं होता कि उस पर उस देश का या राज्य का कितना कानून लागू होता है। देश में कानून कई सारे हैं जिनके बारे में जानकारी के अभाव के कारण ही उनका उल्लंघन भी काफी मात्र में होता है। ऐसे में देश की जनता को नये और पुराने कानून के प्रति जागरूक करना बहुत ज़रूरी है जिससे वो अपने मूल अधिकारों को पहचान सकें। इसलिए लोगों में इसके प्रति जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।