महंत आवास बना माता गौरी का मायका, गाये गए गौने के गीत
वाराणसी। बाबा काशी विश्वनाथ के विवाह की तैयारियां शुरू हो चुकी है।
विवाह की शुरुवात होते ही महंत आवास पर गवनहारियों के द्वारा गौने के गीतों की प्रस्तुति की गयी।
बता दें कि महादेव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि के बाद रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती के गौने की प्रथा है।
इस दौरान महंत आवास चार दिनों के लिए माता पार्वती के मायके में तब्दील हो जाता है।
इस संबंध में काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलदीप तिवारी ने बताया कि माता गौरी का गौना होना है, जिसके लिए महंत परिवार और आस-पास की महिलाओं द्वारा गीत गौना संपन्न होगा।
इस अवसर पर माता गौरी का श्रृंगार करके उन्हें दुल्हन की तरह सजाया गया है।
कुलपति तिवारी ने बताया कि माता गौरी का सिंदूर मंगला गौरी से लाया जाता है और लाली मां अन्नपूर्णा से लायी जाती है।
वहीं भगवान शंकर के आंख का काजल बाबा काशी विश्वनाथ के खप्पर से लाया जाता है।
उन्होंने बताया की यह परंपरा 1669 से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि इस बार कोरोना के खतरे को देखते हुए लोग मास्क और सेनिटीज़र के साथ बाबा के गौने में शामिल होंगे।
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