आखिर क्यों पश्चिम बंगाल में धधक रही हैं हिंसा की आग? वजह हैं ऐसी, जानकार रह जायेंगे हैरान
बंगाल में शुरू हुई हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं ऐसे में सबके मन ये सवाल उठना लाजमी हैं की आखिर पश्चिम बंगाल क्यों हिंसा की आग में धधक रहा हैं रामनवमी के जुलुस को लेकर बंगाल के कई हिस्सों में भीषण साम्प्रदायिक हिंसा हुई जिसमे जन-धन की काफी क्षति हुई।
पश्चिम बंगाल के 20 जिलों के ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद सीटों के लिए एक तीन और पांच मई को चुनाव होना हैं। हिंसा के करने में राजनितिक पहलु को भी नाकारा नहीं जा सकता हैं। इसी को लेकर विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया हैं कि सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस विपक्षी दलों के उम्मीदवारों पर जानलेवा हमले करवा रही हैं ताकि वो नामांकन नहीं कर सके।
अबतक इस हिंसा में 2 लोगो की जान भी जा चुकी हैं वामदल, भाजपा और कांग्रेस तीनो ने इस हिंसा की तीखी आलोचन की हैं। अगर आप बंगाल की राजनितिक इतिहास देखेंगे तो यहाँ राजनितिक हिंसा की इतिहास की गाथा बहुत पुरानी हैं इसलिए इन आरोपों को नाकारा नहीं जा सकता।
पहले भी होती रही हैं राजनितिक हिंसा
अगर देखा जाये तो बंगाल में राजनितिक हिंसा की शुरुआत 60 के दशक से ही हो गयी थी और हाल के दिनों में इसकी तीन कारण हैं बेरोजगारी, विधि-शासन पर सत्ताधारी दल का वर्चस्व और भाजपा का उभार। वैसे तो राजनितिक हिंसा की घटनाये वामदल के शाशन में भी होती थी, पर ममता बनर्जी के साशन में इसमें बेतहाशा वृद्धि हुई हैं और इसमें उसे मात दी हैं भाजपा ने जो तृणमूल कॉग्रेस की हिंसा का जवाब और भी हिंसक तरीके से दे रही हैं।
भाजपा के उदय का भी डर हैं कारण
दूसरी ओर, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य में वोट प्रतिशत बढ़ने के बाद भाजपा ने बंगाल में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेज कर दिया है और इससे भी झड़पों को हवा मिली है। वही दूसरी ओर तृणमूल भी मुसलमान वोटरों को अपने पाले में करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। इसके लिए वह विपक्षी पार्टियों को पूरी तरह से खत्म कर देने पर भी आमादा हैं। एक तरह जहा ममता भाजपा के खिलाफ लोकतान्त्रिक गठबंधन बनाने का सपना देख रही हैं, वही दूसरी ओर वह अपने राज्य में लोकतंत्र की हत्या करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।