काशी में अधर में लटका हैं पीएम मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट, बजट के बावजूद नहीं हो रहा पूरा
वाराणसी: शहर को नए रूप से सजोने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशे भी सफल नहीं हो पा रही हैं। हालत यह कि तीन साल पूर्व प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने बनारस के उलझे बिजली के तारो को हटाने का निर्णय लिया था। पीएम बनने के बाद उन्होंने इसपर काम भी शुरू करवाया।
आईपीडीएस के तहत पहले चरण में प्राचीन काशी यानि पक्का महल क्षेत्र के बिजली के तारो को भूमिगत करने का कार्य शुरू भी हुआ। इसके लिए 432 करोड़ खर्च भी हो गए लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र और दालमंडी इन दो जगहों पे काम शुरू भी नहीं हो पाया हैं। आपको बता दे कि पहले यह काम 2017 तक पूरा हो जाना था फिर विलम्ब को देखते हुए इसकी समयसीमा 31 मार्च 2018 तक बढ़ा दी गयी।
इसके बाद पुरे शहर में तारो को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया हैं। इसके लिए 1160 करोड़ रूपये का प्रस्ताव ऊर्जा मंत्रालय को भेजा गया हैं और पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने इसके लिए सैद्धांतिक सहमति भी प्रदान कर दी है।
15 अप्रैल तक की हैं समयसीमा
आपको बता दे कि पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर 2015 में पुरानी काशी में चल रहे कामो का 97 फीसदी पूरा होने का दावा किया जा रहा हैं। बतया जा रहा हैं कि सिर्फ डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स में केबल डालने का काम शेष रह गया हैं। ऊर्जा मंत्रालय ने इसके लिए 15 अप्रैल तक की समयसीमा तय की हैं।
ऊर्जा मंत्रालय से मिल चुकी हैं स्वीकृति
इस बीच 20 लाख आबादी को फाल्ट मुक्त बिजली आपूर्ति मुहैया कराने के लिए पूरे शहर में बिजली के तारों को भूमिगत करने के प्रस्ताव को पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने वित्तीय स्वीकृति दे दी है। बता दें कि पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार पहले ही मुहर लगा चुका है। पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने बजट देने को कहा था। इस पर पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम ने आंकलन करते हुए 1160 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर ऊर्जा मंत्रलय को भेजा है।