850 प्रेरको के सामने आई गुजारे भत्ते की समस्या

850 प्रेरको के सामने आई गुजारे भत्ते की समस्या

ज्ञानपुर, वाराणसी: गांवों में संचालित लोक शिक्षा केंद्रों पर साक्षरता मिशन के तहत पिछले 25 माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया हैं। इस कारण आर्थिक परेशानी से दो-चार करना पद रहा हैं प्रेरकों को। उन सबके के सामने अपने परिवार के गुजारे – भत्ते की समस्या व्यापत हो गई है। प्रेरकों में शासन के मनमाने रवैये के कारण असंतोष पैदा होने लगा है।

2012 में साक्षर बनाने के उद्देश्य से चलाए जा रहें भारत साक्षर मिशन के तहत जिले के 481 ग्राम पंचायतों में 962 शिक्षा प्रेरकों की तैनाती 15 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को अक्षर ज्ञान कराकर साक्षर बनाने के लिए की गई थी। दो हजार रुपये प्रति माह प्रेरकों का मानदेय निर्धारित किया गया था।

कुल 850 प्रेरक ही शेष बचे हैं

हम आपको बताते चले कि कुल 962 शिक्षा प्रेरकों में से 112 प्रेरकों ने काम छोड़ दिया है। इस कारण अब कुल 850 प्रेरक ही शेष बचे हुए हैं। प्रारम्भ में तो उनको मानदेय दिया जाता था पर 2013 एवं 14 के बाद से स्थिति और दयनीय हो गई हैं। उनका मानदेय भी असमय ही मिला करता है जैसे कभी 10 माह तो कभी आठ माह बाद। साल 2017 से ज्यादा खराब स्थिति बन गई हैं।

अगर उनके मानदेय की दशा की बात की जाए तो 25 महीने से उन्हें मानदेय नहीं मिल पाया है। सिर्फ इतना ही नहीं जिला समन्वयकों वा मिशन के तहत तैनात ब्लाक का भी काफी महीनों का मानदेय लंबित पड़ा हुआ है। प्रेरकों के सामने मानदेय नहीं मिल पाने का कारण आर्थिक तंगी खड़ी हो गई है। जिस कारण उनके लिए उनके परिजनों का गुजरा भत्ता करना मुश्किल पड़ रहा है।

वह इतना तक अंदाजा नहीं लगा पा रहे है की वह कैसे बीमारी की स्थिति में इलाज कराएं। वहीं दूसरी तरफ प्रेरकों की संविदा भी कई महीने से रुकी हुई है। मार्च 2018 के बादसे तकरीबन पांच महीने बीत चुके हैं पर अब तक उनकी संविदा नहीं बढ़ी हैं।

नीरज उपाध्याय जो की साक्षरता मिशन के जिला समन्वयक है ने कहा है कि मानदेय के लिए निदेशालय को पत्र भेजा जा चुका हैं। मानदेय का भुगतान शासन स्तर से बजट मिलने पर कर दिया जाएगा।

Mithilesh Patel

After completing B.Tech from NIET and MBA from Cardiff University, Mithilesh Patel did Journalism and now he writes as an independent journalist.

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