जल्द ही काशी में शुरू होगा अत्याधुनिक चिमनी शवदाह गृह, बाढ़ में भी नहीं होगी समस्या
वाराणसी: जल्द ही काशी के सबसे बड़े श्मसान मणिकर्णिका घाट पर अब चिमनी में शवदाह होगा। यह प्रदेश का पहला श्मशान घाट होगा, जहां शवदाह के लिए चिमनी का निर्माण कराया जा रहा है।
इस परियोजना के तहत शवदाह के लिए दस प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं, जिनपे पांच चिमनियां लगाई जाएंगी। एक चिमनी लगाई जा चुकी है और बाकि पर अभी कार्य चल रहा है। इन सुविधाओं पर दस करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इन कार्यों के पूरा होने के बाद अंतिम संस्कार की सभी रस्में पहले की तरह होंगी और लकड़ी से ही शव दाह होगा लेकिन तब न राख उड़ेगी न धुआं होगा। शवदाह के लिए आने वाले लोगों के बैठने और पेयजल आदि के लिए बिड़ला धर्मशाला में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं जिससे शवदाह के लिए आनेवाले लोगो को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
दिसंबर 2018 तक पूरी हो जाएगी व्यवस्था
पेयजल के आरओ प्लांट लगने के साथ ही घाट पर प्रवेश द्वार भी बनाया जा चुका है। दिसंबर 2018 तक ये सभी कार्य पूरे हो जाएंगे। अब तक एक चिमनी बन चुकी है, बाकी चार चिमनियों के भी दो महीने में तैयार हो जाने की संभावना है।
बाढ़ में भी नहीं होगी समस्या
गंगा के बाढ़ बिंदु को ध्यान में रखते हुए चिमनियां बनाई जा रही हैं ताकि बारिश में गंगा के जलस्तर में बढ़ाव के दौरान शवदाह में किसी तरह की दिक्कत न आने पाए। इसके लिए बिड़ला धर्मशाला से मणिकर्णिका घाट की छतों तक रैंप भी बनाए जाएंगे जिससे बरसात और गंगा स्तर बढ़ने पे भी शवदाह किया जा सके।