जानिए पितृपक्ष में इस पेड़ में क्यों गाड़ते है कील
वाराणसी। पितृ पक्ष लगते ही लोग अपने परिजनों के मृतक आत्माओं की शांति के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड आते हैं। मान्यता है कि इस कुंड के पास अपने पूर्वज पितरों के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान या उनका श्राद्ध कराते हैं तो उनको मोक्ष प्राप्ति हो जाती है।
वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने परिजनों को मोक्ष दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।
पिशाच मोचन कुंड के पास सैकड़ों साल पुराना पीपल का वृक्ष है जो अपने आप में बहुत कुछ बयां कर जाता है। इस पीपल के वृक्ष की जिसमें हजारों हजार सिक्के किल के सहारे गाड़े गए हैं।
इस वृक्ष में आप देख सकते हैं कि किस तरीके से मृत लोगों की फोटो आधार कार्ड और उनसे जुड़ी चीजों को पेड़ में किल के माध्यम से लगाया गया है।
सैकड़ों साल से चली आ रही इस परंपरा को बखूबी लोग आज भी निभाते हैं और यहां पर अपने मृत पूर्वजों की आत्मा को इस वृक्ष में छोड़ कर चले जाते हैं।
जानकारों की माने तो लोगों को लगता है कि प्रेत बाधा से लोगों को मुक्ति मिल जाती है। यही वजह है कि लोग यहां पर प्रेत बाधा से बचने के लिए अपने घर के मृत लोगों की फोटो को इस वृक्ष में लगा जाते हैं।
सैकड़ों साल है यह पुराना पेड़ और सैकड़ों साल से चली आ रही है इस परम्परा को आज भी लोग बखूबी निभाते हैं लेकिन यहां के पंडाओं की मानें तो इस वृक्ष में लगे हजारों सिक्के और फोटो का कोई मतलब नहीं है।
ना ही इससे कोई प्रेत बाधा से मुक्त होता है और ना ही कोई इसका लाभ है। लेकिन जो लोग यहां आते हैं अपनी अंतर आत्मा की शांति और अपने सुखमय जीवन के लिए अपने मृत लोगों की तस्वीर यहां लगा जाते हैं लेकिन असल में देखा जाए तो बिना पूजा पाठ के मृत बाधा से किसी को मुक्ति नहीं मिलती।
मृतक आत्माओं को मोक्ष कि प्राप्ती के लिए पिंडदान और त्रिपिंडी श्राद्ध कराया जाता तभी जा कर आत्माओ को शांति मिलती है।
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