वाराणसी: सिकरौरा नरसंहार मामले में कोर्ट ने बताया वादिनी के बयान को अविश्वसनीय
वाराणसी: सिकरौरा नरसंहार मामला जिससे की जनसामान्य चिर – परिचित है। बताया जा रहा है कि इस मामले के होने का कारण एक तरफ जहां ग्राम प्रधान चुनाव की दुश्मनी बताई जा रही है वही दूसरी तरफ इसकी वजह भूमि से सम्बंधित विवाद को भी माना जा रहा है। मामले का मुकदमा हीरावती देवी जो कि प्रधान रामचंद्र यादव की पत्नी की तहरीर पर दर्ज किया गया था।
बृजेश सिंह को नहीं किया गया इस मामले में नामजद
हम आपको बताते चले कि आरोपी बृजेश सिंह को इस मामले के सम्बन्ध में नामजद नहीं किया गया था। अदालत ने बयान में एवं प्राथमिकी दर्ज कराने के समय के संबंध में भी अंतर पाया है। डॉक्टर द्वारा अदालत में यह बयान दिया गया है कि हत्या में जिस गड़ासे की बात कही गयी है उससे हत्या नहीं हुई है बल्कि किसी बल्लमनुमा हथियार द्वारा की गयी थी जिसकी जख्म का निशान मृतक के शरीर पर भी पाया गया। पूर्व के वादिनी ने अपने बयान में कहा था कि पंचम एवं बृजेश को मैंने सीढ़ी से उतरते हुए देखा था। जिस वजह से वादिनी के बयान को अदालत ने विश्वास योग्य नहीं माना।
छह आरोपियों को किया गया बरी
इस पूरे प्रकरण में पहले ही छह आरोपी बरी कर दिए गए है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर 2008 में बृजेश की गिरफ्तारी के बाद जिले की अदालत में मामले की त्वरित सुनवाई प्रारंभ किया गया। प्रारंभ में यह मामला बृजेश के बालिग एवं नाबालिग होने को लेकर वारदात के समय से ही अटका पड़ा रहा।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने कही यह बात
जब बृजेश को वारदात के दौरान बालिग होने की घोषणा कर दी गयी तब विचारण की शुरुआत की गयी। अदालत का फैसला आने के बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गुरुवार को पुलिस बृजेश को लेकर वापस सेंट्रल जेल के लिए रवाना हो गई। वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ जेल अधीक्षक अंबरीष गौड़ ने कहा कि फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे ही रहना होगा बृजेश को।