हजारों ग़मगीन आँखों ने दी विदाई, शहीद बेटे के साथ किया गया पिता को भी दफ़्न
नई दिल्ली: हम लोग यदि अपने घरों में चैन की सांसे लें रहें हैं तो वह केवल हमारी सीमा पर तैनात सैनिकों के कारण। वर्तमान समय में पड़ोसी देशों से तनाव के कारण जंग सामान स्थिति उत्पन्न हो गयी है। पाकिस्तान के नापाक़ इरादों को भारत माँ सपूत मुँहतोड़ ज़बाब दे रहे हैं। इन भारतीय सैनिकों पर हम भारतवासियों को गर्व है।
मंगलवार को जम्मू कश्मीर में अनेक शहीद सैनिकों को उनके स्थानीय गावों को सौंपा गया। जिसमें एक शहीद जवान के साथ उसके वालिद को भी दफ़नाया गया। दक्षिणी कश्मीर में आक्रमण के दौरान मृत मोहिउद्दीन शेख़ (पिता) एवं त्राल क्षेत्र में शहीद मोहम्मद इक़बाल शेख़ (पुत्र) की पार्थिव देह जब उनके स्थानीय गाँव पहुँचाया गया, तो वहाँ का माहौल शोकाकुल हो गया। इस दौरान इक़बाल की पत्नी का रो -रोकर बुरा हाल था इक़बाल की दो वर्ष पूर्व ही शादी हुई थी,उनका 18 माह का बेटा है। उन्हें सेना में भर्ती हुए मात्र बारह वर्ष हुए थे।
अनंतनाग में भी जब शहीद मंजूर अहमद देवा का पार्थिव शरीर पहुँचा तो हजारों लोगों ने नम आँखों से उन्हें अन्तिम विदाई दी। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में भी शहीद हबीबुल्लाह कुरैशी व मोहम्मद अशरफ मीर की अंतिम विदाई में हजारो लोगों ने प्रतिभाग किया। अन्तिम विदाई में शामिल लोगों में पाकिस्तान के प्रति आक्रोश था। इस दौरान “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाये गए।
अब तक सुंजवां के सेना कैंप पर फिदायीन हमले में शहीद सैनिकों की संख्या छह बताई जा रही है।