सपा-कांग्रेस की दोस्ती, कर्नाटक विधानसभा चुनाव और 2019 का लोक सभा चुनाव

सपा-कांग्रेस की दोस्ती, कर्नाटक विधानसभा चुनाव और 2019 का लोक सभा चुनाव

यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी में दोस्ती हुई। दोस्ती दो दलों के गठबंधन में तब्दील हुई। कहा जाता है कि इसमें पूर्व सीएम अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और राहुल की बहन प्रियंका गांधी बडेरा का भी हाथ रहा। हालांकि यह गठबंधन विधानसभा चुनाव में परिणाम के लिहाज से कारगर साबित नहीं हुआ। हालाँकि अखिलेश यादव के पिता और समाजवादी पार्टी के पूर्व व प्रमुख मुलायम सिंह यादव शुरू से इस दोस्ती और गठबंधन के पक्ष में नहीं थे। चाचा शिवपाल भी नहीं चाहते थे कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक साथ हो या राहुल दोनों की दोस्ती विधानसभा चुनाव के बाद भी कायम है। आलम यह है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी शिरकत नहीं कर रही पर अखिलेश यादव कांग्रेस के स्टार प्रचारक के रूप में वहां जाएंगे। इसकी घोषणा हो चुकी है। अखिलेश यादव और राहुल गांधी दोनों ही चाहते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए फिर गठबंधन हो। लेकिन मुलायम इसके खिलाफ हैं।

फूलपुर और गोरखपुर संसदीय उपचुनाव के बाद से सपा, बसपा और कांग्रेस की दोस्ती धीरे-धीरे परवान चढ रही है। संसदीय उपचुनाव के बाद राज्यसभा चुनाव फिर विधानपरिषद चुनाव में भी तीनों दल एक रहे। राज्यसभा चुनाव में सपा की ओर से भले क्रास वोटिंग हुई लेकिन कांग्रेस का एक-एक वोट बसपा प्रत्याशी भीमराव अम्बेडकर के पक्ष में गया। इसके बाद कांग्रेस और बसपा के बीच की दूरियां भी घटीं। हाल में हुए तीन चुनावों के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कम से कम यूपी में सपा, बसपा, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल मिल कर लड़ेंगे। इसके संकेत इन चारों दलों के शीर्ष नेताओं ने दे दिए हैं। उधर बिहार में लालू यादव की पार्टी और दक्षिण भारत की बात करें तो पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा की पार्टी भी इस महागठबंधन का हिस्सा होगी। इसी लिहाज से कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस ने अखिलेश और लालू के बेटे तेजस्वी यादव को स्टार प्रचारक नियुक्त किया है तो वहीं देवेगौड़ा की पार्टी के लिए खुद मायावती प्रचार प्रसार करने जाएंगी।

मुलायम सिंह यादव को यह दोस्ती रास नहीं आ रही

विधानसभा चुनाव के पहले जिस तरह से उन्होंने सपा-कांग्रेस गठबंधन की मुखालफत की थी ठीक उसी तरह से उन्होंने वही राग फिर दोहराया है। वह सपा-बसपा की दोस्ती पर तो रजामंद हैं लेकिन कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को कतई नहीं। उन्होंने हाल ही में कहा है कि यूपी में कांग्रेस महज दो सीटों वाली पार्टी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुलायम के कांग्रेस विरोध के पीछे बीजेपी का हाथ है। कारण साफ है कि बीजेपी कभी नहीं चाहेगी कि लोकसभा चुनाव में उसकी सीधी टक्कर हो। वो हमेशा इसी रणनीति पर काम करेगी कि मतों का बिखराव हो तभी उसे लाभ होग। ऐसे में बीजेपी ने मुलायम पर डोरे डालना फिर से शुरू कर दिया है। लेकिन अब देखना यह है कि अखिलेश यादव पिता की बात मानते हैं या मित्र धर्म का निर्वाह करते हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पिता और चाचा शिवपाल के कांग्रेस विरोध को ठुकरा दिया था। अब एक बार फिर से गेंद अखिलेश के पाले में है।

Mithilesh Patel

After completing B.Tech from NIET and MBA from Cardiff University, Mithilesh Patel did Journalism and now he writes as an independent journalist.