तालिबान के समर्थन में क्यों खड़ा है चीन, भारत के लिए खतरा?
तालिबान ने पूरे विश्व की राजनीति की रूपरेखा बदल दी है। अफ़ग़ानिस्तान में बन्दूक के बल पर सत्ता हथिया कर पूरी दुनिया को तालिबान ने हिला दिया है। दुनिया भर के देश दो पलड़े में बंटे हुए हैं। एक गुट तालिबान के समर्थन में खड़ा है। तो दूसरा धड़ा तालिबान का विरोध कर रहा है।
इन सब के बीच अफ़ग़ानिस्तान का पड़ोसी देश चीन खुलकर तालिबान के साथ खड़ा है। चीन भारत का भी पड़ोसी मुल्क है। इसलिए तालिबान को लेकर चीन द्वारा दिया जा रहा बयान और उठाया जा रहा कदम भारत के नजरिए से भी बेहद अहम है।
चीन की विदेश मंत्री वांग यी ने इस मामले पर पाकिस्तान और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों से बातचीत की है। चीन ने कहा है कि अफगानिस्तान को फिर से आतंकवाद का अड्डा नहीं बनने देना चाहिए और गृह युद्ध का सामना कर रहे देश में तालिबान के सत्ता में आने के बाद इस संकट से निपटने में दृढ़ता से उसका समर्थन किया जाना चाहिए।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब से बातचीत के दौरान वान्ग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान पर दबाव न बनाने की अपील की है। वान्ग ने कहा है कि, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान को सकारात्मक दिशा में जाने के लिए प्रेरित और गाइड करना चाहिए बजाय दबाव डालने के। यह तालिबान और देश के सभी पक्षों के राजनीतिक ट्रांजिशन के अनुकूल होगा और अफगानिस्तान में घरेलू हालात स्थिर बनाने के लिए अनुकूल होगा।
चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक वक्तव्य के मुताबिक वांग यी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी से कहा है कि, “हमें सभी अफगान दलों को अपनी एकजुटता को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और साथ ही एक नया व्यापक और समावेशी राजनीतिक ढांचा स्थापित करना चाहिए जो अफगानिस्तान की राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल हो और अफगानिस्तान के नागरिकों द्वारा समर्थित हो।”
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