मूलभूत सुविधाओं से वंचित है काशी के कोतवाल का दरबार

मूलभूत सुविधाओं से वंचित है काशी के कोतवाल का दरबार

वाराणसी। काशी को बाबा विश्वनाथ की नगरी के नाम से जाना जाता है। मगर काशी के कोतवाल काल भैरो मंदिर का इतिहास भी सदियों पुराना है।

भगवान शिव के स्वरूप माने जाने वाले बाबा काल भैरो का मंदिर वाराणसी के मैदागिन क्षेत्र में स्थित है। 

मान्यता के अनुसार 

ऐसी मान्यता है कि काशी में काशी विश्वनाथ के दर्शन के पश्चात् काल भैरो के दर्शन का विधान है। काल भैरो का दर्शन न करने पर काशी विश्वनाथ का दर्शन अपूर्ण माना जाता है। 

दूर दराज से आते है श्रद्धालु 

काशी में काल भैरो के दर्शन के लिए देश विदेश से श्रद्धालु आते है। सप्ताह के रविवार को बाबा की एक झलक पाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

इसके अलावा सप्ताह के मंगलवार और गुरुवार को भी बाबा के दर्शन को भक्तों की लम्बी कतारे देखी जा सकती है। 

मंदिर परिसर के आस पास सुविधाओं का आभाव 

मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधाओं का आभाव साफ प्रतीत होता है।

न तो साफ पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय की, जिसके कारण श्रद्धालुओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

शौचालय न होने की वजह से खासकर महिला श्रद्धालुओं को काफी दिक्कत होती है जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। 

मंदिर के लोगों ने सरकार से की मांग 

श्रद्धा और आस्था का केंद्र के रूप में चर्चित काल भैरो के दरबार ने सभी को सर झुकाकर आशीर्वाद लेना ही होता है, ऐसी कहावत है कि “काशी में रहना है तो बाबा बाबा कहना है”।  

यही कारण है कि बाबा के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर के लोगों ने देश के प्रधानमंत्री से गुहार लगायी है कि यहां उचित स्थान पर कम से कम एक शौचालय की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए। 

पीएम के संसदीय क्षेत्र में नहीं है शौचालय की व्यवस्था 

आपको याद ही होगा कि देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद शौचालय को लेकर बड़ा अभियान चलाया था जिसके लिए पूरे विश्व में उनके इस प्रयास को सराहा गया। 

पीएम के घर घर शौचालय पहुंचाने की मुहीम काफी हद तक साकार भी हुयी जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलें। 

मगर उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में स्थित काल भैरो के दरबार के आस पास ही शौचालय की व्यवस्था नहीं है।

फ़िलहाल इस मामले में जिला प्रसाशन से लेकर सत्ताधारियों को इस समस्या पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि काशी में बढ़ते पर्यटन को पंख लग सके। 

जानकारी के अनुसार एक एनजीओ के द्वारा शौचालय का निर्माण कराया जा रहा था मगर उसमें विवाद उत्पन्न होने के कारण मामला अब न्यायलय में विचाराधीन है। 

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Vikas Srivastava