पैसे के लालच में नहीं हुआ माँ का अंतिम संस्कार

पैसे के लालच में नहीं हुआ माँ का अंतिम संस्कार

कहावत है कि ‘पूत कपूत हो सकता है, लेकिन माता कभी कुमाता नहीं हो सकती है’। इस कहावत को सही साबित किया है वाराणसी के भेलूपुर कबीर नगर में रहने वाले एक कलयुगी बेटे व बेटी ने।

अपनी मां की पेंशन की हथियाने के लिए उसकी मौत के पांच माह पूर्व भी उसका अंतिम संस्कार नहीं किया, लेकिन पड़ोसियों ने शक होने पर गुरुवार को पुलिस में शिकायत कर दी। इसके बाद पुलिस जब आरोपित के घर पहुंची तो मामला सबके नजर में आया। मामले के प्रकाश में आते ही सुंनने वाले भौचक्के। पुलिस ने कंकाल बने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है।

पुलिस ने बताया की आरोपी परिवार वालो ने महिला के शरीर पर केमिकल लगाकर शरीर का संरक्षक किया था, ताकि शरीर न खराब हो और न ही बदबू करे, हर महीने मां की पेंशन पाने के लिए बेटा-बेटी ने शव को छिपाए रखा क्योकि पेंशन  परिवार का एक मात्र जिवोपार्जन साधन था। मृतका अमरावती देवी को हर महीने 13 हजार रुपये पेंशन मिलती थी। खुलासा होने पर सभी हैरान हैं। अमरावती देवी की मौत 13 जनवरी 2018 को बीएचयू में उपचार के दौरान हो गई थी।मौत की खबर मोहल्ले को पता चली तो लोग अंतिम संस्कार के लिए जुटने लगे, लेकिन बेटे-बेटी ने कुछ घंटे बाद अंतिम संस्कार करने की कहकर टाल दिया और फिर बाद में लोगों से कहा कि मां जिंदा हो गई।

इसके बाद आरोपितों ने शव को घर में छिपाए रखा तथा पांच महिने अंगूठा लगाकर उसकी पेंशन उठाते रहे। प्रशांत पांडेय नाम के पड़ोसी ने कहा कि महिला की मौत पर उन्हें कफन दिया और पूछा कि अंतिम संस्कार कब होगा। उस दौरान बेटे ने जवाब दिया कि कुछ घंटे में होगा और कुछ घंटे बाद बताया गया कि उनकी मां जिंदा हो गई।

पड़ोसियों से 100 नंबर पर सचना मिलने के बाद पहुंची पुलिस को परिवारवालों का विरोध झेलना पड़ा, जिनके मुताबिक उनकी मां मरी नहीं बल्कि कोमा में थी और किसी वैद्यजी का इलाज चल रहा था। थाने पहुंचा बेटा भी अपनी मां को मरा मानने पर तैयार नहीं हुआ। मामले का खुलासा होने के बाद पंचानामा कर डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और अब मामले के आरोपित पर  कार्रवाई की जा रही है।

Mithilesh Patel

After completing B.Tech from NIET and MBA from Cardiff University, Mithilesh Patel did Journalism and now he writes as an independent journalist.