प्रो. भटनागर बने बीएचयू के नए कुलपति, जेएनयू में चर्चित भारत विरोधी नारेबाजी से है कनेक्शन
वाराणसी: आखिरकार चार महीने बाद ही सही पर बीएचयू को नया कुलपति मिल गया है। और सरकार ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के मॉलिकुलर बायोलॉजी एंड जेनेटिक इंजीनियरिंग लबोरट्री के प्रोफ़ेसर राकेश भटनागर को बीएचयू का नया कुलपति नियुक्त किया है।
राष्ट्रपति और यूनिवर्सिटी के विजिटर रामनाथ कोविंद ने 26 मार्च को अपने काशी के पहले दौरे पहले जेएनयू के प्रो. राकेश भटनागर की नियुक्ति कर इस पद चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया।
पिछले तीन महीनो से कुलपतिविहीन था बीएचयू
आपको बता दे कि 23 सितम्बर 2017 को परिसर में छेड़छाड़ के विरोध में आंदोलित छात्रों पर लाठीचार्ज के मामले के टूल पकड़ने के पर तत्कालीन कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी को छुट्टी पे भेज दिया गया था। इसके बाद 26 नवम्बर 2017 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था तभी से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय कुलपति विहीन चल रहा था।
प्रो. भटनागर की की नियुक्ति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह फरवरी 2017 में जेएनयू के चर्चित भारत विरोधी नारेबाजी मामले में जांच कमेटी के अध्यक्ष रह चुके है, और आपको बता दे कि प्रो. भटनागर को काफी सख्त मिजाज का माना जाता है। उनकी नियुक्ति को लेकर गुरूवार शाम को बीएचयू प्रशासन को मेल प्राप्त हो गया है। इसके पहले राकेश भटनागर कुमायु विश्वविद्यालय नैनीताल में कुलपति और जेएनयू के भिन्न-भिन्न प्रशासनिक पदों को संभल चुके है।
जानिए क्यों अलग है नए कुलपति की नियुक्ति
इस बार के नियुक्ति हर बार से भिन्न है क्योंकि प्रो. भटनागर की नियुक्ति को लेकर लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे है। ये तो सभी जानते है कि जेएनयू को वामपंथी विचारधारा का केंद्र माना जाता है और वहा के प्रोफ़ेसर का महामना के बगिया में कुलपति पद पर नियुक्ति को लेकर अलग तरीके से देखा जा रहा है। और इन दिनों काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हर दिन कोई न कोई नया बवाल देखने को मिल रहा है, जिसको लेकर छात्र आयेदिन प्रदर्शन करते रहते है और छात्र पिछले कई दिनों से नए कुलपति को नियुक्त करने की मांग कर रहे थे। अब देखना है क्या नए कुलपती के नियुक्ति से इन विवादों पर अंकुश लग पाता है।