बीएचयू में थम नहीं रहा विवाद
वाराणसी। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी अब राजनीति के अखाड़े में तब्दील होती जा रही है। भगवान शिव की नगरी को शिक्षा का केंद्र भी माना जाता है क्योंकि यहां महामना की बगीया काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित है, जहां दुनिया के कोने कोने से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते है। मगर अब ये विश्वविद्यालय देश के अन्य राजनीति करने वाले विश्वविद्यालयों की तरह राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है।
आपको बता दें कि बीते बुधवार को रोजा इफ्तार पार्टी की तस्वीरें सामने आने के बाद छात्रों ने जमकर बवाल काटा। इन तस्वीरों में कुलपति रोजा इफ्तार पार्टी करते नजर आये, जिसके बाद गुस्साए छात्रों ने कुलपति आवास के बाहर जमकर बवाल किया और कुलपति का पुतला दहन किया। खैर किसी तरह से पुलिस के आने के बाद छात्र शांत हुए और छात्र अपने अपने हॉस्टल में चले गए।
मगर उसके बाद अगले दिन सुबह होते ही एक नए विवाद ने जन्म लिया, जिस पर छात्र फिर भड़क उठे और मामला इतना बढ़ गया कि खुद कुलपति को हस्तक्षेप करना पड़ा और मामले को शांत कराया गया।
विश्वविद्यालय की दीवारों पर आपत्तिजनक चीजें लिखे गए और उनका संबंध एक छात्र संगठन से बताया गया। दीवारों पर आपत्तिजनक स्लोगन के साथ ही भगत सिंह छात्र मोर्चा का जिक्र किया गया, जिसके बाद कई छात्रों ने हंगामा किया। हालांकि इस मामले में भगत सिंह छात्र मोर्चा की ओर से भी एक पत्र कुलपति ने नाम लिखा गया, जिसमें भगत सिंह छात्र मोर्चा के लोगों ने अपना हाथ होने से साफ इंकार किया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षा के मंदिर में ये सब क्या और क्यों हो रहा है। काशी का गौरव कहे जाने वाले काशी विश्वविद्यालय में छात्र अध्ययन-अध्यापन छोड़ ये किस राजनीति का हिस्सा बनते जा रहे है। इस मामले में अगर कुछ नहीं किया गया तो यहां पर भी देश के ऐसे विष्वविद्यालयों जहां शिक्षा के अलावा सब कुछ होता है, जैसे हालत पैदा हो जायेंगे, जहां शिक्षा के इतर राजनीति चमकाई जाती है। .
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