जर्मनी के राष्ट्रपति ने लिया बनारसी व्यंजनों का आनंद, गंगा आरती देख बोल उठे वाह! बनारस
वाराणसी: सुबह सारनाथ में पुरातात्विक स्थलों को देखकर जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइनमायर सहित 60 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल होटल ताज के नदेसर पैलेस पंहुचा जहा उनका रेड कार्पेट पर स्वागत किया गया। होटल स्टाफ ने फ्रेंच क्लासिकल स्टाइल में जर्मनी के राष्ट्रपति के सामने भारतीय व्यंजन, मौसमी फलों के जूस और बनारसी मिठाइयों को परोसा। इसके बाद उन्हें गाजर का शोरबा और मसाला छांछ पेश किया गया। खाने के अंत में उन्हें बनारसी अंदाज वाली पिस्ते की रसमलाई और गुलकंद की मिठाई परोसी गई।
जर्मनी के राष्ट्रपति भारतीय मसालों के मिश्रण, स्वाद व उनकी महक से खासे प्रभावित दिखे और जमकर वाहवाही की। जर्मनी के राष्ट्रपति के दोपहर के भोजन के मद्देनजर होटल ताज और खासतौर से नदेसर पैलेस को दुल्हन की तरह सजाया गया था। हलाकि खाना थाली में नहीं बल्कि पश्चिमी देशों की शैली में परोसा गया था।
वैसे तो काशी नगरी की छँटा निराली है और यहाँ जो भी आता है बिना मनमुग्ध हुए नहीं रह पाता है। ऐसा ही कुछ जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइनमायर के साथ हुआ है जब वो गंगा आरती देखकर कह उठे कि मुझे यहां बहुत पहले आना ही आ जाना चाहिए था, यह एक अद्भुत शहर है।
गंगा आरती के विषय में ली जानकारी
जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइनमायर जर्मनी के शिष्टमंडल के साथ अस्सी घाट से काशी की संस्कृति को निहारते हुए 20 मिनट में काशी के विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर पहुंचा। जहाँ भारतीय परंपरा के अनुसार तिलक लगाकर व आरती उतारकर राष्ट्रपति फ्रैंक का स्वागत किया गया। जर्मनी के राष्ट्रपति स्टाइनमायर ने आरती को गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा के साथ बैठकर देखी और हर विधि के बारे में जानकारी भी ली।