32 साल बाद हुई शिनाख्त, सिकरौरा नरसंहार मामले में माफिया डॉन बृजेश सिंह के लिए मुश्किलें बढ़ी
वाराणसी: पूर्वांचल के माफिया डॉन बृजेश सिंह भले ही माफिया से माननीय बन गए हो पर उनके लिए संकट गहराता ही जा रहा है एक 32 साल पुराने मामले में उनकी शिनाख्त हो गयी है और अब इतने वर्षो बाद पीड़ित पक्ष को न्याय अब न्याय मिलने की उम्मीद दिख रही है।
क्योंकि सिकरौरा नरसंहार मामले की मुख्य गवाह हीरावती देवी ने मुख्य आरोपी बृजेश सिंह की जिला न्यायलय में शिनाख्त कर दी है।
सिकरौरा नरसंहार कांड
ये तो सभी जानते है कैसे अपनी पिता के हत्या से बृजेश सिंह कैसे एक आम युवक से माफिया डॉन बनने सफर तय किया पर पूरी घटना की जानकारी कम ही लोगो को है।
27 अगस्त 1984 को वाराणसी के चौबेपुर थानांतर्गत धरहरा गांव में बृजेश के पिता की हत्या कर दी गयी थी इसमें उनके सियासी विरोधी हरिहर सिंह, पांचू सिंह और उनके कुछ साथियो का नाम आया था।
अपनी पिता के मौत का बदला लेने के लिए बृजेश सिंह ने जो खुनी खेल शुरू किया उसने उन्हें कहा से कहा पंहुचा दिया उनके पिता रविंद्र सिंह चाहते थे की बृजेश पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बने पर नियति को तो कुछ और ही मंज़ूर था।
27 मई 1985 को बृजेश सिंह के पिता का हत्यारा उनके सामने आ गया जिसको देखकर बृजेश ने अपना आपा खो दिया और अपने पिता के हत्यारे हरिहर सिंह दीनदाहड़े सबके सामने मौत के घाट उतार दिया अपराध के जगत में यही से बृजेश सिंह का नाम दर्ज़ हुआ।
इसके बाद भी उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ उनपर आरोप है की बृजेश सिंह ने अपने पिता के हत्या में कथित रूप से शामिल रहे सिकरौरा के तत्कालीन ग्रामप्रधान रामचंद्र यादव और उनके दो भाई और चार बच्चो की गोली मारकर और गड़ासे से काटकर हत्या कर दी इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद बृजेश सिंह का नाम देश के शीर्ष अपराधियों में शामिल किया जाने लगा।
ऐसी हुई शिनाख्त
पर अब 32 साल बाद सिकरौरा हत्याकांड में डॉन बृजेश सिंह पर एक बार फिर से कानून का शिकंजा कसने लगा है पिछले साल अक्टूबर में अतिरिक्त प्रथम जिला जज पीके शर्मा ने बृजेश सिंह को बालिग मानते हुए ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था इसके बाद अचानक बृजेश सिंह की तबियत बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया।
पेशी के दौरान जब जज ने मामले की चश्मदीद गवाह हीरावती देवी से मुख्य अभियुक्त बृजेश सिंह की पहचान करने के लिए कहा तो उन्होंने तुरंत विधयक बृजेश सिंह का कलर पकड़ लिया और कहा “साहब इहा हमरे ललनवा के कटलेसे” इसके बाद वह रोने लगी जिससे उनकी तबियत बिगड़ गयी अब हीरावती को कुछ उम्मीद है की शायद अब उन्हें सरकार से न्याय मिल जाये 32 साल चली इस लम्बी कानूनी लड़ाई में हीरावती के क़ानूनी सलाहकार और वाराणसी के समाजसेवी राकेश “न्यायिक” का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है।