संकटमोचन मंदिर पहुंचे जावेद अख्तर, स्वर्गीय महंत प्रो वीरभद्र मिश्र को याद कर हुए भावुक
वाराणसी: फ़िल्मी दुनिया के मशहूर स्क्रिप्ट राईटर और सामाजिक-राजनितिक मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखने वाले शायर और लेखक जावेद अख्तर शुक्रवार शाम संकट मोचन दरबार पहुंचे। बजरंगबली के इस पावन धाम में छह दिवसीय संगीत का महाकुम्भ आयोजित हैं। इसी महाकुम्भ में शामिल होने यहाँ पधारे जावेद अख्तर का स्वागत काशी के पारम्परिक घोष हर-हर महादेव के साथ हुआ। यही नहीं मशहूर शायर के सम्मान में कुछ देर तक के लिए संकट मोचन दरबार जयश्री राम के ओजस्वी और मंगल घोष के साथ गूंजता रहा।
कई बार अपने बातो से विभिन्न धार्मिक संगठनों की नाराज़गी मोल लेने ;वाले जावेद अख्तर का स्वागत मंदिर के महंत प्रोफेस्सर विशम्भर नाथ मिश्रा ने किया। उन्होंने बताया कि बजरंग बली के इस दरबार से जावेद अख्तर साहब का जुड़ाव काफी पुराना हैं।
मंदिर में हुए बम धमाकों को लेकर कही ये बड़ी बात
जावेद अख्तर ने 2006 में संकटमोचन मंदिर में हुए बम धमाकों को याद करते हुए कहा कि वो जब उस घटना के बाद यहाँ आये तो उनका मन बेहद दुखी था। मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर वो कौन लोग हैं जो ऐसा काम कर सकते हैं। इस घटना ने मेरे मन में इस तरह का काम करने वालो के खिलाफ नफरत भर दी थी।
स्वर्गीय महंत प्रो वीरभद्र मिश्र को याद कर हुए भावुक
मंदिर के पूर्व महंत स्वर्गीय प्रो वीरभद्र मिश्रा को याद करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि वह वाकई कमाल के शख्सियत थे। कुछ लोग वाकई में बहुत महान होते हैं और महंत जी जब चलते थे कि उनके अंदर बहुत औरा था, उनमे इतना तेज़ था जो मुझे चकित कर देता था। हलाकि मई लेखक हूँ और शब्दों से काम चलता हु मगर कभी कभी दिल की बाते शब्दों में नहीं आती। महंत जी से जो सम्मान मुझे मिला उसे मैं कभी भुला नहीं सकता उनके विषय में जितना भी कहा जाये कम हैं।