कार्तिक पूर्णिमा के दिन, भक्तो ने लगाई आस्था की डुबकी
वाराणसी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन धर्म की नगरी काशी में सभी घाटों पर भक्तों ने गंगा में डुबकी लगा कर दर्शन-पूजन किया। शास्त्रों में इस दिन के स्नान का बहुत महत्व है साथ हीं इस व्रत का पालन करना बहुत श्रेष्ठ होता है।
मान्यता के अनुसार Kartik Poornima के दिन शरीर पर काले तिल और आंवले का चूर्ण लगा कर स्नान करना चाहिए तथा साधु-संतों और विधवा स्त्रियों के व्रतकाल में तुलसी के जड़ की मिट्टी से स्नान करने का नियम बताया गया है।
इस पर्व पर वाराणसी के घाटों पर प्रातः ही लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में डूबकी लगायी। अस्सी से लेकर वरुणा तक के सभी घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही थी।
शास्त्रों में कार्तिक माह की पूर्णिमा को सबसे बड़ी पूर्णिमा कहा गया है। इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है और यह भगवान शंकर के विजय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था।
इसलिए Kartik Poornima के दिन भगवान विष्णु के साथ शिव का पूजन अवश्य करना चाहिए। इस दिन भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन करने से व्यक्ति अत्यंत धनवान बनता है। कार्तिक पूर्णिमा का पूजन सायंकाल प्रदोषकाल में करने का विधान है।
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