आखिर क्या वजह है कि नहीं दिखेंगे मिट्टी के दीयें
वाराणसी। भगवान श्री राम जब 14 वर्षों का वनवास काट कर अयोध्या लौटे तो अयोध्या वासियों ने बड़े ही हर्षोंउल्लास के साथ दीपक जलाकर पूरी अयोध्या को रोशन किया। तभी से पूरे भारत में दीपावली मनायी जाती है।
मिट्टी से बने दीयों से दीपावली की साज सज्जा की जाती है। मगर कहीं न कहीं अब मिट्टी से बने दीयों की जगह इलेक्ट्रिक लाइटों ने ले ली है। भारत में चाइनीज लाइटों का चलन इतना बढ़ गया है कि मिट्टी के दीये और उन दीयों को बनाने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सस्ती चाइनीज लाइटों की वजह से मिट्टी के दीयों का भविष्य अब खुद अंधेरे में है। हालात इतने खराब है कि दीयें बनाने वाले अब इस काम को बंद करने की ओर अग्रसर है और अपनी आने वाली पीढ़ी को ये हुनर नहीं देना चाहते क्यूंकि कम पैसे की वजह से गुजारा करना सम्भव नहीं है।
“न्यूज़ बकेट पत्रकारिता कर रहे छात्रों का एक छोटा सा समूह है, जो नियमित मनोरंजन गपशप के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. इसके अलावा विभिन्न त्योहारों और अनुष्ठानों में शामिल सौंदर्य, ज्ञान और अनुग्रह के ज्ञान का प्रसार करते हुए भारतीय समाज के लिए मूल्य का प्रसार करते हैं।”