मिलिए किसान चाची से, खुद से बनायीं अपनी पहचान
मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव की किसान चाची आज देश की हजारों महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं। जिन्होंने अपनी लगन से न सिर्फ अपने बल्कि अपने जैसी हजारों महिलाओं का जीवन बदला है।
अब किसान चाची से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाले हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा 11 सितंबर से दो दिन के बिहार दौरे पर रहेंगे, इस दौरान वह किसान चाची और 50 अन्य महिला किसानों के घर जाकर उनसे मुलाकात करेंगे और उनके कृषि से जुड़े अनुभव सुनेंगे।
दरअसल पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत जेपी नड्डा ‘किसान चाची’ से मिलेंगे और उनसे ‘अचार’ बिजनेस के बारे में बात करेंगे। किसान चाची के नाम से मशहूर राजकुमारी देवी का जीवन बेहद संघर्ष भरा रहा है।
किसान चाची ने सफलता का यह मुकाम वर्षों के संघर्ष के बाद पाया है। एक वक्त था जब उनके घर में दो वक्त की रोटी मुश्किल से जुटती थी।
उनके परिवार के मुख्य आय का जरिया खेती हुआ करता था मगर जरूरतों के पूरा न होने के कारण उन्होंने खुद खेती करना शुरू किया और साथ ही अचार बनाने लगीं।
राजकुमारी देवी साइकिल से अचार बेचने बाजार जाने लगीं, जो समाज को मंजूर न था। समाज ने उन्हें बहिष्कृत कर दिया था।
इन सब बाधाओं से राजकुमारी नहीं डरीं और एक कृषक व कारोबारी के रूप में अपनी पहचान बनाई। बाद में जो लोग पहले ताने देते थे वे सम्मान की नजर से देखने लगे।
आज की तारीख में किसान चाची का प्रोडक्ट विदेशों में भी निर्यात किया जाता है। 65 साल की किसान चाची की गिनती आज देश की सफल महिला कृषकों में होती है, जिसने अपनी लगन से अपने जैसी हजारों महिलाओं का जीवन संवार दिया। उन्होंने अचार कारोबार को भी एक नया आयाम दिया।
शुरुआती दिनों में राजकुमारी देवी ने अपने पति के साथ मिलकर खेती के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए। इसके लिए उन्होंने पूसा कृषि विद्यालय से उन्नत कृषि से जुड़ी जानकारियां जुजुटायी और अपने खेतों में धान-गेंहू के बजाय आवला और पपीता लगाया।
अच्छी कीमत नहीं मिलने की वजह से उन्होंने सीधे बाजार में बेचने की जगह उसका अचार-मुरब्बा बनाना शुरू कर दिया। किसान चाची अब 20 से ज्यादा तरह की अचार और मुरब्बा बनाती हैं और इसकी ब्रांडिंग भी खुद करती हैं।
उनका कहना है कि तमाम निजी कंपनियों के अचार में भले ही अच्छी पैकिंग मिल जाएं, लेकिन मशीनों से बने स्वाद में दादी और नानी के हाथों का स्वाद नहीं मिलेगा। वह स्वाद केवल किसान चाची के अचार में मिलेगा।
अब तक किसान चाची 40 से अधिक स्वयं सहायता समूह बना चुकी हैं। वो गांव-गांव घूमकर मुफ्त में किसानों से अपने अनुभव को साझा करती हैं। किसान चाची ने अब तक सैकड़ों महिलाओं को अच्छी गुणवत्ता का अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया।
अब किसान चाची के साथ 250 अधिक महिलाएं जुड़ी हैं, जो अचार-मुरब्बा तैयार करती हैं। किसान चाची को 2006 में किसान सम्मान मिला, तभी से उनका नाम किसान चाची पड़ गया।
किसान चाची को 2015 और 2016 में अमिताभ बच्चन ने केबीसी में भी बुलाया था। यही नहीं, नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसी साल किसान चाची को पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा है। किसान चाची अपने सफलता का श्रेय वो अपने पति को देती हैं।
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