कठपुतली प्रशिक्षण का शुभारम्भ, वाराणसी डीरेका में
वाराणसी के डीरेका संस्थान में कठपुतली प्रशिक्षण कार्यशाला आरंभ किया गया। कार्यशाला में सभी प्रशिक्षु को कठपुतली के उपयोग के बारे में बताया गया और उसके बाद आज के समय में उसके महत्व व योगदान के बारे में समझाया गया। डीरेका संस्थान के तत्वावधान में कार्यशाला का शुभारंभ रविवार के पूर्वाह्न बेला में पश्चिमी संस्थान में किया गया। यह प्रशिक्षण संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली से संबद्ध और मान्यताप्राप्त संस्था अभिनव समिति, वाराणसी द्वारा प्रदान किया जा रहा है। कार्यशाला में लगभग 25 प्रशिक्षु भाग ले रहे हैं। सभी के प्रति आभार व्यक्त किया गया।
लुप्त हो रही है यह प्रथा
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए संस्थान डीरेका के सचिव श्री आलोक कुमार सिंह ने प्रशिक्षण के लिए यथासंभव सहयोग के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी। लुप्तप्राय हो चली इस कठपुतली कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्यशाला के संयोजक अमलेश श्रीवास्तव के प्रति उन्होंने आभार व्यक्त किया। अभिनव समिति के निर्देशक राजेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव ने कठपुतली कला के व्यापक इतिहास पर प्रकाश डालते हुए इसकी विविधता और विशेषता को रेखांकित किया। मुख्य प्रशिक्षक मिठाई लाल ने प्रशिक्षुओं को कठपुतली निर्माण की बारीकियाँ बताते हुए प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया और सभी को संतुष्ट किया।
अभिनव समिति की ओर से अध्यक्ष शोभनाथ पटेल एवं सहयोगी विजय कुमार एवं महेन्द्र प्रशिक्षण में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। उद्घाटन सत्र का संचालन अमलेश श्रीवास्तव ने और धन्यवाद ज्ञापन एखलाक हुसैन खान ने किया। इस अवसर पर अष्ट भुजा मिश्रा, नवल किशोर गुप्ता, मधुबाला शर्मा, श्रुति गुप्ता, डॉ०सुनीता कुमारी, बहादुर प्रताप, संजय कुमार, रश्मि सिंह, बन्दना सहित एवं अनेक प्रशिक्षु उपस्थित रहे।