काशी के इस कुंड में स्नान से पूरी होती संतान की कामना
वाराणसी: शनिवार को यानि की आज संतान प्राप्ति की कामना को लेकर काशी के भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में पतियों ने अपनी पत्नियों संग स्नान किया इस कुंड में स्नान के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ा। कुंड में स्नान करने के लिए लोगों की लंबी कतार लगी रही। हम आपको बताते चले कि महिलाओ एवं पुरुषों की लंबी कतार शुक्रवार की शाम से ही लगी रही।
सोनारपुरा से डुमराव बाग तक लगी रही लाइन
सिर्फ इतना ही नहीं लाइन इतनी लंबी थी कि सोनारपुरा से लेकर डुमराव बाग तक लगी रहीं। इस वजह से वहां पर मेले की तरह का माहौल बन गया था। भादो महीने की षष्ठी तिथि को होने वाले इस लोलार्क कुंड में स्नान के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं। बताते चले कि काशी की हर नदी, तालाब, कुंड को जलतीर्थ की मान्यता प्राप्त है। जिनमें से एक लोलार्क कुंड भी है। जिसमें नि:संतान दंपती विश्वास एवं आस्था की डुबकी लगाते हैं।
भादो माह की षष्ठी तिथि को होता है स्नान
इसी मान्यता के साथ दंपती भादो माह की षष्ठी तिथि को स्नान करने पहुंचते हैं। नव आगमन बहूओं को भी काशी के लोग इस कुंड में स्नान के लिए भेजते है। 18वीं सदी से आस्था की यह मान्यता चली आ रही है जब इस कुंड में स्नान से पश्चिम बंगाल के कूच विहार स्टेट के नरेश का चर्मरोग ठीक हो गया था। तब से ही इस कुंड की आस्था का महत्व और ज्यादा बढ़ गया।
तांत्रिक विधि से हुई है कुंड की स्थापना
काशी के भदैनी मोहल्ले में स्थित लोलार्क कुंड की बनावट के समबन्ध में वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार इस कुंड की बनावट कुछ इस तांत्रिक विधि से की गई है कि सूर्य की किरणें इस कुंड की जगह पर भादो की षष्ठी तिथि को बहुत प्रभावी बन जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं स्नान के बाद फल खरीदकर उसमें सूई चुभोईं जाती है जिसको की सूर्य की रश्मि का प्रतीक भी माना जाता है।
सूर्य का कुंड माना गया है इस कुंड को
पौरोणिक कथाओं अनुसार लोलार्क कुंड को सूर्य का कुंड माना गया है। मान्यताओं के अनुसार सूर्य के रथ का पहिया भी किसी समय यहीं गिरा था जो कुंड के रूप में प्राख्यात हुआ। यह लोकमान्यता हो गयी कि कलांतर में जिसको संतान की प्राप्ति न हो वह अगर अपनी पत्नी संग इस कुंड में स्नान कर लेते है तो संतान सुख की प्राप्ति होती है।
दूर-दूर के गांवों से आये लोग
रविंद्रपुरी स्थित संत कीनाराम बाबा आश्रम में लोगों का जमावड़ा इस तिथि को पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए लगता है। शुक्रवार से ही श्रद्धालुओं की भीड़ शनिवार को भोर से ही होने वाले स्नान को लेकर लगी रही। जिसके लिए दूर-दूर के गांवों से लोग स्नान दर्शन पूजन के लिए बड़ी संख्या में यहां पहुंचने लगे हैं।