अब विधान परिषद से भी सपा का पत्ता हुआ साफ, 72 सीटों के साथ बीजेपी ने जमाया कब्जा
सपा के 2 एमएलसी का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही यूपी विधान परिषद से सपा का नेता विरोधी दल का पद छिन गया। विधान परिषद में इसके बाद मात्र दस प्रतिशत सदस्य ही बचे हुए है। बता दें कि आजादी के बाद ये पहला मौका होगा कि जब कोई भी नेता प्रतिपक्ष नहीं बनेगा।
जानकारी के लिए बता दें कि नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए कम से कम दस सदस्य होना चाहिए। मगर यूपी विधान परिषद में सपा के मात्र नौ सदस्य ही बचे हुए है।
बीते 6 जुलाई को ही विधान परिषद के कुल 12 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इसके साथ ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह का कार्यकाल भी ख़त्म हुआ था। हालांकि हाल में हुए विधान परिषद में 13 सीटों पर हुए चुनाव में जीत के बाद केशव और भूपेंद्र की सदन में वापसी हुई है।
यूपी विधान परिषद में एक और नया रिकॉर्ड दर्ज किया गया। यूपी विधान परिषद में कांग्रेस के इकलौते सदस्य दीपक सिंह का कार्यकाल समाप्त होने के बाद विधान परिषद पूरी तरह से कांग्रेस मुक्त हो गई है। विधानमंडल के इस उच्च सदन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब यहां देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस का वजूद पूरी तरह खत्म हो गया है।
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