इस संस्था का प्रयास है की बना रहे बनारस और जिन्दा रहे गंगा-जमुनी तहजीब
वाराणसी: वैसे तो पूरा बनारस शहर ही गंगा-जमुनी तहजीब का एक जीता-जागता उदहारण है। जहा एक ओर हिन्दू गंगा के पानी से अपने पापो को धोता है वही दूसरे ओर मुस्लमान भी वजू के लिए इसी पानी का इस्तेमाल करता है, एक तरफ हर-हर महादेव का उद्घोष सुनाई देता है तो वही एक ओर अजान की भी ध्वनि सुनाई देती है।
इसी तहजीब के तहत पिछले कई वर्षो से दिव्यांग पुर्नवास केंद्र व उसके अंतगर्त पहल स्वालम्बन के द्वारा उन महिलाओ और बेटियों में शिक्षा और स्वालम्बन की अलख जगाने में लगा हुआ है जिनकी आर्थिक और पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं है। इस अभियान के तहत उन अल्पसंख्यक बेटियों को नि:शुल्क हुनर प्रदान किया जाता है जिनमे ज्ञान और आत्मनिर्भरता कौशल के लिए धन का अभाव है।
इस अवसर पर संस्था द्वारा हिन्दू-मुस्लिम एकता की सपथ ली गयी और नांच, गायन का सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। जिसमे नाजिया, तनु, अनुराधा, अफ़रोज़, रेशमा, करिश्मा, सबा ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में पूनम राय, जमुना शुक्ल, सुमन जयसवाल, मंजू, पूजा आदि अतिथिगण उपस्थित रही कार्यक्रम का धन्यवाद् ज्ञापन पहल संस्था की निदेशिका मीनू ग्रोवर एवं शक्ति ग्रोवर ने किया। इस कार्यक्रम का आयोजन पहल विकलांग पुर्नवास केंद्र वाराणसी व कानपुर के सौजन्य से किया गया।