फूलपुर उपचुनाव में दिख रहा है भाजपा और अपना दल गठबंधन की सच्चाई, पलट सकते है नतीजे
वाराणसी: वैसे तो फूलपुर उपचुनाव के भाजपा प्रत्याशी कौशलेंद्र और अनुप्रिया पटेल के बीच 36 का आंकड़ा रहा है, और उनका खेल बिगाड़ने वालो में उनके अपनी ही बिरादरी के दिग्गज पटेल नेता शामिल है और क्षेत्र में उनके विरोधी भी काफी समय से मौजूद हैं।
जब से उन्हें फूलपुर संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के लिए टिकट मिला उनका विरोधी खेमा तत्काल अपनी चाले चलने लगा।और उसके बाद उनकी पत्नी ऋतु सिंह भी मीडिया के सामने आ गयी या फिर कह सकते है, लायी गयी जिन्होंने कौशलेंद्र पर तमाम तरह के आरोप लगाए और यहां तक कहा कि कौशलेंद्र उन्हें प्रताड़ित करते थे, और बेटी को जन्म देने के बाद मारपीट भी किया करते थे। इसके आलावा ऋतु ने उनपर जबरदस्ती तलाक देने का आरोप लगाया और इसके आलावा उनपर तलाक दिए बिना दूसरी शादी करने पर भी सवाल उठने लगा।
इस मामले पर कौशलेंद्र सहित वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने फिलहाल अपनी चुप्पी साध रखी है। जब वह वाराणसी के मेयर थे तब उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी से 2014 के चुनाव में मिर्जापुर से टिकट की मांग की जिसमे उनको नज़रअंदाज़ कर दिया गया, इसके आलावा उन्होंने वाराणसी के रोहनिया से भी टिकट पाने का प्रयास किया था पर वह सफल नहीं हो सके।
सजातीय वरिष्ठ भाजपा नेता बिगाड़ सकते है खेल
वैसे तो कौशलेंद्र मिर्जापुर के मगरहा गांव के निवासी है और यही से वरिष्ठ भाजपा नेता ओमप्रकाश सिंह भी ताल्लुक रखते हैं जो की कौशलेंद्र के राजनितिक गुरु भी माने जाते है। पर ओमप्रकाश किसी भी सूरत में नहीं चाहते थे कि 2017 विधानसभा चुनाव में उनके बेटे अनुराग सिंह का पत्ता कौशलेंद्र की वजह से कट जाए और इसी वजह से उनकी दूरियां बढ़ गयी है। वह उन्हें बाईपास करके आगे बढ़ने नहीं देना चाहते नातीजन वरिष्ठ बीजेपी नेता ओमप्रकाश सिंह ने भी कौशलेंद्र को पीछे धकेलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
वैसे तो बीजेपी हाई कमान चाहता है की कैसे भी करके कौशलेन्द्र के पक्ष में कोइरी मतों को का ध्रुवीकरण हो जाये हलाकि कौशलेन्द्र ये पहले ही कह चुके है की उन्हें उपचुनाव जितने में कोई दिक्कत नहीं होगी, और उन्हें सिर्फ कुर्मी मतदाता ही जीता देंगे। उनके इस बयान के पीछे कारण है की फूलपुर सीट पर पटेल मतदाताओं की संख्या 2:5 लाख के पास है जो चुनाव नतीजों में किंग मेकर साबित होते है, पर इसमें भी एक पेंच है इलाहाबाद में सिंगरौर कुर्मियों की संख्या अधिक है और वह अपने आप को कुर्मियों में उच्च मानते है पर कौशलेन्द्र जैसवार कुर्मी है, इस लिहाज से भी उनका खेल बिगड़ने की आशंका है। इस लिहाज से अब चुनाव और ज्यादे पेचीदा बन गया है, और अब कौशलेन्द्र के लिए चुनाव जितना उतना आसान नहीं होगा।