कौशलेन्द्र के लिए आसान नहीं होगा फूलपुर उपचुनाव, पार्टी के दिग्गज पटेल नेता बिगाड़ सकते है खेल
वाराणसी: बनारस के युवा मेयर रह चुके कौशलेंद्र सिंह को फूलपुर संसदीय उपचुनाव के लिए मैदान में उतार कर भाजपा ने वैसे तो काफी बड़ा दांव खेला है, पर राजनीतिक विषय में जानकारी रखने वाले विशेष लोगों की मानें तो इसके पीछे पार्टी की सोच के अंदर पिछड़े नेताओं की फौज तैयार करना है ताकि भविष्य में यदि कोई छोटा क्षेत्रीय या जातीय दल आँख दिखाएं तो उनसे किनारा करने में कोई दिक्कत ना हो।
इसी सोच के तहत पार्टी ने पहले भी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के मकाबले में अनिल राजभर को 2017 के चुनाव में शिवपुर विधानसभा से टिकट दिया और उनके जीतते ही उन्हें मंत्री पद भी दे दिया गया।
जिसके वजह से अब अनिल और ओमप्रकाश राजभर आमने – सामने मैदान में है, हलाकि अभी वो ओमप्रकाश को ठीक से टक्कर नहीं दे पा रहे है। जब पार्टी अनुभवी नेताओ के बीच एक युवा नेता को मान्यता दिलाने का जोखिम उठती है तो उसके विरोध में कई लोग आ जाते है। इसी तरह इस मामले में अनुप्रिया पटेल की पार्टी का कोई नेता उनके विरोध में खड़ा हो जाए तो कोई अास्चर्य न होगा, पर अगर कौशलेंद्र जीत जाते हैं तो उन्हें कोई अच्छा पद मिल सकता है, लेकिन इन सबके बीच इस भाजपा नेता के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी की यह किया कैसे जाये।
भितरघात से बिगड़ सकता है खेल
कारण साफ ना केवल अनुप्रिया पटेल बल्कि की बीजेपी के अन्य पुराने दिग्गज पटेल नेता ही उन की रणनीति सफल होने में बड़ी बाधा साबित हो सकते हैं। वैसे भी वाराणसी से लेकर मिर्जापुर, चुनार और इलाहाबाद तक में कौशलेंद्र की जड़ खोदने वालों और काम बिगाड़ने वालो की कमी नहीं है।