इंडिया कार्पेट एक्सपो का शुभारंभ करते हुए पीएम मोदी ने कहा – चरखा ही जीवन का सार

इंडिया कार्पेट एक्सपो का शुभारंभ करते हुए पीएम मोदी ने कहा – चरखा ही जीवन का सार

वाराणसी। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बड़ा लालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में कहा कि भारत के ग्रामीण इलाकों में सूत काटने की परंपरा रही है। बनारस की जितनी पहचान संत कबीर से जुड़ी है, उतनी ही हस्तशिल्प से भी है। संत कबीर सूत भी काटते थे और उसके जरिए जीवन का संदेश भी देते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि – चरखा जीवन का सार है और जिसने इसको समझ लिया, उसने जीवन का महत्व समझ लिया। भारत में हस्तशिल्प को जीवन दर्शन से जोड़ा गया है।

विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया

प्रधानमंत्री ने रविवार को यह बात वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बड़ा लालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में चार दिवसीय इंडिया कार्पेट एक्सपो का शुभारंभ करते हुए कहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 25 हजार करोड़ तक पहुंचाने का आह्वान कारोबारियों-बुनकरों से किया। इसके साथ ही उन्होंने काशी के साथ-साथ देश के बुनकरों और शिल्पियों को दी जा रही सुविधाओं की जानकारी दी। मुद्रा योजना, बुनकरों की शिक्षा, पहचान योजनाओं के बारे में बताया। कहा, बुनकरों के जीवन को सरल बनाने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं।

कालीन उत्पादन पर की विशेष चर्चा

एक्सपो में आए देशी-विदेशी मेहमानों का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, गांधी जी के चरखे का स्वतंत्रता के आंदोलन का भारत में बहुत बड़ा महत्व रहा है। इसी प्रकार हस्तशिल्प के माध्यम से स्वावलंबन को मजबूत बनाया जा रहा है। हाथ से बने कालीन उत्पादन में भारत टॉप पर है। दुनिया भर के कार्पेट मार्केट का 35 प्रतिशत हिस्सा भारत निर्यात करता है। भारत इस समय दुनिया के 100 देशों को नौ हजार करोड़ रुपये तक का कालीन निर्यात कर रहा है। उन्होंने दो-तीन वर्ष में इसके 50 प्रतिशत तक होने का अनुमान और 2022 तक कारोबार के ढाई गुना करने का लक्ष्य रखा।

Mithilesh Patel

After completing B.Tech from NIET and MBA from Cardiff University, Mithilesh Patel did Journalism and now he writes as an independent journalist.

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